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फाइल फोटो
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल एमएमजी इन दिनों गंभीर संकट से जूझ रहा है। कुत्ते और बंदर के काटने से घायल मरीजों के लिए जरूरी एंटी रेबीज सीरम (Anti Rabies Serum) अस्पताल से खत्म हो चुका है। इसकी वजह से गंभीर मरीजों को मजबूरी में दिल्ली के अस्पतालों, खासकर जीटीबी, भेजा जा रहा है।अस्पताल प्रशासन के मुताबिक मई 2025 में सीरम उपलब्ध कराया गया था, जिससे गंभीर रूप से घायल मरीजों को एंटी रेबीज वैक्सीन के साथ सीरम भी लगाया जाता था। लेकिन अब पिछले तीन दिनों से स्टॉक खत्म हो गया है।
प्रतिदिन चार मरीज़
जानकारी के अनुसार, प्रतिदिन तीन से चार मरीजों को सीरम की आवश्यकता होती थी। सीरम की मात्रा मरीज के वजन पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी घायल का वजन 50 किलो है तो उसे 2000 यूनिट सीरम देना जरूरी है। यह सीरम न केवल इलाज के लिए अहम है बल्कि मरीज की जान बचाने में भी मदद करता है।जिले में औसतन 350 से 400 मरीज रोज एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने पहुंचते हैं। इनमें से बहुत कम मामलों में गहरे घाव होते हैं, जहां सीरम की जरूरत पड़ती है। लेकिन ऐसे मरीजों के लिए तात्कालिक उपचार बेहद जरूरी होता है। सीरम उपलब्ध न होने से वे लोग घंटों भटकते हैं और अंततः दिल्ली रेफर कर दिए जाते हैं।
कम होती सुविधाए
स्थानीय लोगों का कहना है कि गाजियाबाद जैसे बड़े शहर में यह सुविधा लगातार उपलब्ध रहनी चाहिए। जिला अस्पताल से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक पर्याप्त स्टॉक होना चाहिए। यदि किसी मरीज को तुरंत इलाज न मिले तो उसकी जान को खतरा हो सकता है।स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि रेबीज एक जानलेवा रोग है और कुत्ते या बंदर के गहरे काटने के मामलों में सीरम का तुरंत लगना अनिवार्य है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग को इस दिशा में त्वरित कदम उठाने की जरूरत है।