गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद के मोदीनगर क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। मामला एक गर्भवती महिला से जुड़ा है, जो अपने घर से महज एक किलोमीटर दूर स्थित स्वास्थ्य केंद्र तक समय पर नहीं पहुंच पाई। उसे तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ा और आखिरकार उसने ऑटो में ही जुड़वा बच्चों को जन्म दे दिया। यह घटना क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत को बेनकाब कर रही है।
आशा को फोन 3 घंटे इंतजार
बताया गया कि महिला की तबीयत बिगड़ने पर परिजनों ने नजदीकी आशा कार्यकर्ता को फोन किया। लेकिन तीन घंटे तक कोई मदद नहीं मिली। अंततः जब हालात बेकाबू हो गए, तब परिजन महिला को निजी साधन यानी एक ऑटो में बैठाकर स्वास्थ्य केंद्र की ओर रवाना हुए, लेकिन रास्ते में ही प्रसव हो गया। गनीमत रही कि दोनों नवजात और मां स्वस्थ हैं।घटना के बाद मोहल्ले में हड़कंप मच गया और स्थानीय लोगों ने स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ नाराज़गी ज़ाहिर की। दबाव बढ़ने पर अब स्वास्थ्य विभाग ने संबंधित आशा कार्यकर्ता के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए हैं। यह स्पष्ट है कि विभाग द्वारा किए जा रहे तमाम दावे – जैसे समय पर एंबुलेंस सुविधा, आशा की निगरानी और तत्पर प्रसव सेवा – सिर्फ कागज़ों में ही सीमित हैं।
लापरवाह स्वास्थ्य विभाग
इस प्रकार की घटनाएं न सिर्फ गर्भवती महिलाओं की जान को जोखिम में डालती हैं, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर खामियों को भी उजागर करती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते एंबुलेंस या आशा पहुंच जाती, तो प्रसव सुरक्षित रूप से अस्पताल में हो सकता था। यह एक चेतावनी है कि स्वास्थ्य सेवाओं को केवल सरकारी रिपोर्टों से नहीं, बल्कि जमीनी सच्चाई से परखा जाना चाहिए।