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गठिया की बीमारी अपलोड करें
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
तेजी से बदलती जीवनशैली और घटती शारीरिक गतिविधियों के कारण अब गठिया (अर्थराइटिस) जैसी बीमारी केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही है। लिम्का बुक रिकॉर्ड होल्डर डॉ. बृजपाल त्यागी ने बताया कि हर पांचवां व्यक्ति किसी न किसी रूप में अर्थराइटिस से प्रभावित है, और अब यह बीमारी 30 से 40 वर्ष की उम्र वालों में भी तेजी से फैल रही है।
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दिनचर्या महत्वपूर्ण
उन्होंने कहा कि इस रोग के प्रमुख कारणों में अनियमित खानपान, मोटापा, व्यायाम की कमी और लगातार एक ही स्थिति में बैठे रहना शामिल हैं। कंप्यूटर, मोबाइल या ऑफिस डेस्क पर घंटों तक बैठे रहने की आदत ने इस बीमारी को युवाओं में बढ़ा दिया है। डॉ. त्यागी ने कहा कि लोग प्रारंभिक लक्षणों जैसे जोड़ों में जकड़न, दर्द या सूजन को नजरअंदाज करते हैं, जो आगे चलकर गंभीर रूप ले लेता है।
जागरूकता आवश्यक
उन्होंने सुझाव दिया कि इस रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाने चाहिए और इसे आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य योजनाओं में शामिल किया जाना चाहिए ताकि मरीजों को इलाज में मदद मिल सके।विशेषज्ञों का मानना है कि जीवनशैली में छोटे बदलाव जैसे नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, वजन नियंत्रण और लंबे समय तक बैठे रहने से परहेज से इस बीमारी को काफी हद तक रोका जा सकता है। गठिया का समय पर निदान और सही इलाज ही जोड़ों को स्वस्थ रख सकता है।