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Heat wave : गर्मी ने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के पसीने छुड़ाएं, अव्यवस्थाओं का दौर जारी

जैसे-जैसे गर्मी ने अपना विकराल रूप धारण किया है, वैसे-वैसे स्वास्थ्य व्यवस्थाएं भी चरमरा गई हैं। तापमान लगातार 42 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच रहा है, जिससे लू हीट वेव और गर्मी से जुड़ी बीमारियों में जबरदस्त वृद्धि देखी जा रही है। इस भीषण गर्मी ने न

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Syed Ali Mehndi
दिल्ली में गर्मी का सितम, उत्तर भारत उबला

Photograph: (Google)

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गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता

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जैसे-जैसे गर्मी ने अपना विकराल रूप धारण किया है, वैसे-वैसे स्वास्थ्य व्यवस्थाएं भी चरमरा गई हैं। तापमान लगातार 42 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच रहा है, जिससे लू हीट वेव और गर्मी से जुड़ी बीमारियों में जबरदस्त वृद्धि देखी जा रही है। इस भीषण गर्मी ने न केवल आम जनजीवन को प्रभावित किया है, बल्कि सरकारी अस्पतालों की कमज़ोर व्यवस्थाओं को भी उजागर कर दिया है।

 बीमारियों का हमला

हीट वेव के कारण डिहाइड्रेशन, डायरिया, लूज मोशन, सिरदर्द, उल्टी, बुखार और हीट स्ट्रोक जैसी बीमारियों के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। जिला अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं, लेकिन वहां पर्याप्त डॉक्टरों की उपलब्धता नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जिले के कई अस्पतालों में डॉक्टरों के 30 से 40 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं, जिससे मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है।

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 बीमार सरकारी अस्पताल

सरकारी अस्पतालों में हालात बदतर हो चुके हैं। जिले के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में सभी बेड पहले से ही फुल हैं। मरीजों को स्ट्रेचर या ज़मीन पर लिटा कर इलाज किया जा रहा है। कई गंभीर मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है, जहां इलाज की लागत आम आदमी की पहुंच से बाहर है।

 खराब मशीने 

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स्वास्थ्य सेवाओं में मशीनों की खराबी भी एक बड़ी समस्या बन गई है। एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और पैथोलॉजी लैब की मशीनें महीनों से बंद पड़ी हैं, जिसकी मरम्मत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। मरीजों को ज़रूरी जांचें बाहर से करानी पड़ रही हैं, जिससे उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद हो रहा है।

 दवाओं की किल्लत 

हालात इतने खराब हैं कि कई गांवों और शहरी झुग्गी इलाकों में स्वास्थ्यकर्मी नियमित रूप से नहीं पहुंच पा रहे हैं। दवाओं की किल्लत, पानी की कमी और बिजली की कटौती ने स्थिति को और विकट बना दिया है। लोगों को नल का गर्म पानी पीना पड़ रहा है, जिससे पेट से जुड़ी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है।

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 स्वास्थ्य विभाग के बड़े दावे 

राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा बड़े-बड़े दावे तो किए जाते हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। न डॉक्टर हैं, न उपकरण, न दवाएं और न ही शीतल पेयजल की व्यवस्था। ऐसे में आम आदमी जाए तो जाए कहां?

 समाधान जरूरी

समाधान के तौर पर ज़रूरी है कि स्वास्थ्य विभाग तत्काल प्रभाव से डॉक्टरों की भर्ती करे, खराब मशीनों को दुरुस्त करे और अस्पतालों में अतिरिक्त बेड की व्यवस्था करे। साथ ही, आमजन को जागरूक किया जाए कि वे कैसे गर्मी से खुद को सुरक्षित रखें – जैसे कि धूप में बाहर न निकलें, पर्याप्त पानी पिएं और हल्का भोजन करें।

 

 

 

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