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नगर निगम में पार्षदगण
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
नगर निगम गाजियाबाद में 25 जुलाई तक महापौर को बैठक के मिनट्स (Minutes of Meeting) की प्रति सौंपे जाने को लेकर चल रहे घटनाक्रम ने नया मोड़ ले लिया है। 20 जुलाई को नगर आयुक्त महोदय द्वारा पार्षदों को स्पष्ट रूप से एक पत्र देकर सूचित किया गया था कि बैठक के मिनट्स 25 जुलाई सुबह 10:00 बजे तक महापौर कार्यालय में पहुंचा दिए जाएंगे। इस पत्र की प्रति पार्षदों को अपर नगर आयुक्त जंग बहादुर और कर निर्धारण प्रभारी संजीव सिंह की उपस्थिति में नगर आयुक्त के कक्ष में सौंपी गई थी।
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नहीं मिले दस्तावेज
लेकिन 25 जुलाई की सुबह जब कुछ पार्षद नगर निगम कार्यालय पहुंचे और अपर नगर आयुक्त जंग बहादुर से उनके कक्ष में मिनट्स की प्रति प्राप्त करने का प्रयास किया, तो उन्हें जानकारी दी गई कि अभी तक संबंधित दस्तावेजों पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। इसी दौरान एक पार्षद ने अपर नगर आयुक्त के सामने ही संजीव सिंह को फोन किया, जिनका जवाब था कि वे तो पहले ही दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। इस विरोधाभासी बयानबाज़ी से पार्षदों के बीच भारी असंतोष फैल गया।
गंभीर लापरवाही
नगर आयुक्त से जब इस संबंध में पूछताछ की गई तो उन्होंने किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया। इससे पार्षदों का आक्रोश और अधिक बढ़ गया। उन्होंने इस मामले को गंभीर प्रशासनिक लापरवाही बताते हुए कड़ी नाराजगी जताई और ऐलान किया कि अगर तय समय में उन्हें बैठक की मिनट्स की प्रति नहीं सौंपी जाती है तो वे विरोध प्रदर्शन करेंगे। आज इस पूरे घटनाक्रम के दौरान पार्षद नीरज गोयल, हिमांशु शर्मा, शिवम शर्मा, कन्हैयालाल, संतोष राणा, देवनारायण शर्मा, ओमप्रकाश सिंह, जगत सिंह नीलम, पूर्व पार्षद जाकिर सैफी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। इन सभी ने नगर निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही की बात करने वाला निगम प्रशासन, अब खुद अपने ही पत्रों के वादे पूरे नहीं कर रहा है।
शनिवार अंतिम चेतावनी
पार्षदों ने स्पष्ट किया कि यदि शनिवार 26 जुलाई को पूर्व निर्धारित समय 11:00 बजे तक मिनट्स की प्रति उन्हें नहीं सौंपी जाती, तो वे निगम परिसर में सामूहिक रूप से प्रदर्शन करेंगे और इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से भी की जाएगी। इस मामले ने अब राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया है और आने वाले दिनों में निगम प्रशासन पर पार्षदों का दबाव और बढ़ सकता है। इस पूरे घटनाक्रम से नगर निगम की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं कि आखिर क्यों एक पत्र में स्पष्ट आश्वासन के बावजूद निर्धारित तिथि तक मिनट्स उपलब्ध नहीं कराए गए? पार्षदों और नगर निगम के बीच टकराव की यह स्थिति प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण बनती जा रही है।