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House Tax : अंधेरे में धरने पर डटे रहे पार्षद, निगम प्रशासन ने बिजली काटी

गाजियाबाद नगर निगम में हाउस टैक्स में बंपर वृद्धि के विरोध में जारी विवाद अब गंभीर मोड़ पर पहुँच गया है। नगर निगम बोर्ड बैठक में बहुमत से प्रस्ताव निरस्त होने के बावजूद अधिकारियों के रवैये और पारदर्शिता की कमी को लेकर पार्षदगण आक्रोशित हैं।

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Syed Ali Mehndi
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अंधेरे में पार्षदों का धरना जारी

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

गाजियाबाद नगर निगम में हाउस टैक्स में बंपर वृद्धि के विरोध में जारी विवाद अब गंभीर मोड़ पर पहुँच गया है। नगर निगम बोर्ड बैठक में बहुमत से प्रस्ताव निरस्त होने के बावजूद अधिकारियों के रवैये और पारदर्शिता की कमी को लेकर पार्षदगण आक्रोशित हैं। स्थिति उस समय और गंभीर हो गई जब पार्षदों ने नगर निगम से बोर्ड बैठक की कार्यवाही की मिनिट्स यानी लिखित विवरण मांगा, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें देने से इनकार कर दिया।

धरने पर पार्षद 

इस रवैये से नाराज़ होकर दर्जनों पार्षदों ने नगर निगम परिसर में ही धरना शुरू कर दिया। यह धरना अब लगातार दो दिनों से दिन-रात जारी है। पार्षदों की मांग है कि नगर निगम द्वारा की गई टैक्स वृद्धि की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से जनता के सामने लाई जाए और अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।धरने के दौरान एक अप्रत्याशित घटनाक्रम सामने आया जब बीती रात नगर निगम परिसर की बिजली काट दी गई। पार्षदों का आरोप है कि यह बिजली कटौती जानबूझकर की गई ताकि उनका धरना तोड़ा जा सके। हालांकि, पार्षदों ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए अंधेरे में ही धरना जारी रखा और अपनी एकजुटता व संकल्प का परिचय दिया।

बाधित विद्युत लाइन 

इस आंदोलन में प्रमुख रूप से पार्षद नीरज गोयल, हिमांशु शर्मा, गौरव सोलंकी, कुसुम मनोज गोयल, नरेश भाटी, पूनम सिंह, राजकुमार सिंह भाटी, भूपेंद्र उपाध्याय, देवनारायण शर्मा, कन्हैया लाल, संतोष राणा, शिवम शर्मा, राहुल शर्मा, शशि, पवन गौतम, मदन राय, प्रीति, अभिनव जैन, ओमपाल भाटी और धीरज अग्रवाल उपस्थित रहे।इसके अलावा पार्षद संजय त्यागी, पवन कुमार गौतम, अनिल तोमर, प्रमोद राघव, अजीत निगम, विनील दत्त, कन्हैयालाल, मुन्नी कश्यप, प्रतिमा शर्मा, जगत सिंह, शशि खेमका, राजकुमार, राजू, वीर सिंह समेत अनेक पार्षदों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया है।

विकास कार्य ठप 

यह मामला केवल हाउस टैक्स तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि नगर निगम की कार्यप्रणाली और जवाबदेही को लेकर एक बड़ा प्रश्न बन चुका है। धरने पर बैठे पार्षदों का कहना है कि जब तक नागरिकों को न्याय नहीं मिलेगा और पारदर्शिता स्थापित नहीं होगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।इस धरने ने नगर निगम के कामकाज पर सवाल खड़े कर दिए हैं और प्रशासनिक पारदर्शिता की मांग को बल दिया है। अब देखना होगा कि नगर निगम प्रशासन इस गतिरोध को सुलझाने के लिए क्या रुख अपनाता है और जनता की अपेक्षाओं पर कितना खरा उतरता है।

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