गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता। शहर में नगर निगम द्वारा की गई हाउस टैक्स वृद्धि अब सियासी गलियारों में चर्चा का प्रमुख विषय बन गई है। भाजपा के जनप्रतिनिधियों की पूरी मौजूदगी और समर्थन के बावजूद, इस मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय अब तक नहीं निकल पाया है। इससे न केवल पार्षद असमंजस में हैं, बल्कि जनता के बीच भी निराशा का माहौल बनता जा रहा है।
बीते दिन नगर निगम में पार्षदों की बैठक आयोजित की गई, जिसमें टैक्स वृद्धि का विरोध किया गया। बैठक के दौरान पार्षदों ने बताया कि नागरिकों को भारी टैक्स के नोटिस भेजे जा रहे हैं, जिससे आमजन में आक्रोश फैल रहा है। बावजूद इसके, निगम की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया है।
“जनता की आवाज कौन बनेगा?” – शहर में उठने लगा सवाल
अब शहर के हर गली-नुक्कड़ पर यही सवाल गूंज रहा है – "जनता की आवाज आखिर बनेगा कौन?" पार्षदों को जनता ने उनके हितों की रक्षा के लिए चुना है, लेकिन अब वही जनता खुद को असहाय महसूस कर रही है। नगर निगम द्वारा की गई हाउस टैक्स में वृद्धि आम आदमी की जेब पर सीधा असर डाल रही है।
बैठक के बाद हुआ दिलचस्प वाकया
बैठक के बाद एक पार्षद ने एक वरिष्ठ जनप्रतिनिधि से मुलाकात की। चर्चा के दौरान जब हाउस टैक्स का मुद्दा सामने आया, तो जनप्रतिनिधि ने पार्षद को जमकर खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने दो टूक कहा: “यह साल आधा बीत चुका है, 2027 में नगर निगम चुनाव हैं और अगले साल चुनावी तैयारी का माहौल रहेगा। आपके पास डेढ़ साल का समय है – अगर इस दौरान जनता की सेवा नहीं कर सके, तो अगले चुनाव में किस मुंह से वोट मांगने जाओगे?”
जनप्रतिनिधि ने पार्षद को सख्त लहजे में कहा कि उन्हें जनता का साथ देना होगा। उन्होंने साफ तौर पर आह्वान किया कि बढ़े हुए हाउस टैक्स का विरोध करना ही पड़ेगा और अपने-अपने वार्ड में जनता से कहें कि कोई भी बढ़ा हुआ टैक्स जमा न करे।
"जनता हमारी है, और हम जनता के हैं"
जनप्रतिनिधि ने भावुक अपील करते हुए कहा, “जनता हमारी है, और हम जनता के हैं। इतनी बड़ी टैक्स की मार किसी भी सूरत में लगने नहीं देनी चाहिए, वरना जनता कभी माफ नहीं करेगी।”
इस नसीहत का असर पार्षद पर भी साफ दिखाई दिया। उन्होंने स्वीकार किया कि अगर बढ़े हुए हाउस टैक्स को लागू कर दिया गया, तो जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी। पार्षदों ने इस विषय को पार्टी के उच्च स्तर तक ले जाने की बात भी कही है।
विपक्ष भी हो सकता है हमलावर
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते इस विवाद का समाधान नहीं निकाला गया, तो विपक्ष इस मुद्दे को चुनावी हथियार बना सकता है। इससे सत्ताधारी दल को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
गाजियाबाद में हाउस टैक्स वृद्धि का मामला अब केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन चुका है। जनता की नजरें अब अपने पार्षदों और जनप्रतिनिधियों पर टिकी हैं। क्या वे जनता की आवाज बनकर निगम से राहत दिला पाएंगे, या फिर यह मुद्दा अगले चुनाव तक खिंचता रहेगा – इसका जवाब आने वाला समय ही देगा।