Advertisment

गाजियाबाद की जनता के हाउस टैक्स में बढ़ोतरी पर उठे तीखे सवाल

Ghaziabad: उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के युवा प्रदेश महामंत्री राजू छाबड़ा ने नगर निगम अधिकारियों से पारदर्शिता की मांग करते हुए सवाल उठाया है कि जब सदन में प्रस्ताव खारिज हुआ था तो उसे शासन को क्यों भेजा गया।

author-image
Deepak Sharma
गाजियाबाद की जनता के हाउस टैक्स में बढ़ोतरी पर उठे तीखे सवाल
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता। नगर निगम गाजियाबाद द्वारा हाउस टैक्स में की गई अचानक वृद्धि को लेकर शहर की जनता और व्यापारी संगठनों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के युवा प्रदेश महामंत्री राजू छाबड़ा ने नगर निगम अधिकारियों से जवाबदेही की मांग की है।

Advertisment

राजू छाबड़ा ने कहा कि हाल ही में नगर आयुक्त और मुख्य नगर कर अधिकारी संजीव सिन्हा द्वारा दिए गए बयानों में हाउस टैक्स वृद्धि को सभी पार्षदों की सहमति से किया गया बताया गया है। इस पर छाबड़ा ने सवाल उठाया है कि यदि ऐसा है तो उन सभी पार्षदों की सूची सार्वजनिक की जाए, जिन्होंने जनता के प्रतिनिधि होने के बावजूद इस वृद्धि को समर्थन दिया।

उन्होंने कहा कि जनता को जानने का हक है कि उनके चुने हुए प्रतिनिधियों ने उनके क्षेत्र के विकास के नाम पर उन पर कितना बोझ डाला है। यदि हाउस टैक्स बढ़ाया गया है, तो यह भी साफ होना चाहिए कि उनके क्षेत्र में अब तक क्या-क्या विकास हुआ है।

बजट बढ़ा लेकिन जनता पर बोझ!

Advertisment

नगर आयुक्त द्वारा यह भी कहा गया कि पार्षदों के विकास कार्यों का बजट 30 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया गया है। छाबड़ा ने इसे एकतरफा फैसला बताते हुए कहा कि बजट बढ़ाना गलत नहीं है, लेकिन इसका भार सीधे जनता पर डालना पूरी तरह अनुचित है।

उन्होंने कहा कि नगर निगम का बजट तो बढ़ जाएगा, पर जनता का बजट बिगड़ जाएगा। विकास ऐसा नहीं होना चाहिए जिसमें जनता की कमर टूट जाए।

प्रस्ताव हुआ था खारिज, फिर कैसे पास हुआ?

Advertisment

इस पूरी प्रक्रिया में सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि जब नगर निगम सदन की बैठक में, जिसमें कैबिनेट मंत्री, विधायक, महापौर और सभी पार्षद मौजूद थे, हाउस टैक्स वृद्धि के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया गया था, तो फिर नगर आयुक्त ने इसे शासन के पास भेजने की जरूरत क्यों महसूस की?

नियमों की अनदेखी?

छाबड़ा ने नगर निगम नियमों का हवाला देते हुए कहा कि नियमों के अनुसार हाउस टैक्स में अधिकतम 10% वृद्धि हर दो साल में ही की जा सकती है, यानी एक वर्ष में 5% से अधिक नहीं। ऐसे में मुख्य नगर कर अधिकारी संजीव सिन्हा का यह कहना कि टैक्स में दो गुना वृद्धि की गई है, नियमों का खुला उल्लंघन है।

Advertisment

उन्होंने मांग की कि नगर निगम को स्पष्ट रूप से यह बताना चाहिए कि जिसकी वर्तमान में ₹2000 हाउस टैक्स की राशि है, अब उसे कितना भुगतान करना होगा और यह जानकारी सीधी व सरल भाषा में अखबारों में प्रकाशित की जाए, ताकि जनता भ्रमित न हो।

अधूरी सड़कों और गुणवत्ता पर सवाल

राजू छाबड़ा ने सड़क और नाली निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब भी सड़क बनती है, तो 6 महीने के अंदर वह क्यों टूट जाती है? सड़क बनाने से पहले पानी की पाइपलाइन और नालियों का काम क्यों नहीं पूरा किया जाता? आखिर हर कुछ महीनों में टेंडर क्यों जारी किए जाते हैं?

उन्होंने कहा कि विकास का मतलब सिर्फ पैसा खर्च करना नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करना भी है। जब तक इस पर निगरानी नहीं होगी, तब तक जनता की मेहनत की कमाई यूं ही बर्बाद होती रहेगी।

Advertisment
Advertisment