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फाइल फोटो
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
मोहन नगर स्थित गंगा बैंक्वेट हॉल में विभिन्न रेजिडेंट्स एसोसिएशनों की संयुक्त बैठक आयोजित की गई। बैठक का मुख्य एजेंडा नगर निगम द्वारा हाल ही में की गई गृहकर वृद्धि रहा। नागरिकों ने इस फैसले का जोरदार विरोध करते हुए कहा कि यह पूरी तरह जनविरोधी कदम है।मुख्य संरक्षक कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी ने साफ कहा कि यही आरडब्ल्यूए और नागरिक वोट बैंक जनप्रतिनिधियों की जीत-हार तय करता है। निगम और नेताओं को यह समझना चाहिए कि जनता सम्मान देने के लिए वोट करती है, बोझ लादने वालों के लिए नहीं।
वृद्धि नियम के विरुद्ध
कोरवा अध्यक्ष डॉ. पवन कौशिक ने कहा कि नियम के मुताबिक दो साल में 10 फीसदी से अधिक की वृद्धि नहीं हो सकती। इसके बावजूद निगम द्वारा कई गुना कर बढ़ाना नागरिकों पर जबरन बोझ डालने जैसा है। महासचिव जय दीक्षित ने आरोप लगाया कि नगर निगम का दायित्व केवल रखरखाव का है, विकास कार्यों के नाम पर टैक्स थोपना सीधे-सीधे नियम उल्लंघन है।
समस्याओं का अंबार
सलाहकार डॉ. आर.के. आर्य ने कहा कि विकास की अंधी दौड़ ने शहर को प्रदूषण और जलभराव की समस्या दी है। संपर्क सचिव नेमपाल चौधरी और वित्त सचिव मुलेंद्र कुमार ने कहा कि अब निगम और जनप्रतिनिधि दोहरी घेराबंदी में हैं—एक ओर अदालत और दूसरी ओर जनता की अदालत।बैठक में तय किया गया कि नागरिक 25 सितंबर तक गृहकर जमा न करें। साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में टैक्स वसूली पर रोक लगाने के लिए याचिका भी दायर की जाएगी।
मिशन 2027 मुश्किल में
बैठक के अंत में कोरवा-यूपी ने अल्टीमेटम जारी किया कि यदि गृहकर वृद्धि वापस नहीं ली गई, तो 2027 के चुनाव में गाजियाबाद की जनता अपना जवाब देगी। उन्होंने साफ चेतावनी दी कि यदि निगम ने अपनी जिद पर अड़ा रहा, तो मौजूदा जनप्रतिनिधियों का यह आखिरी कार्यकाल साबित होगा।इस बैठक ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि गाजियाबाद की जनता किसी भी जनविरोधी कदम को स्वीकार नहीं करेगी और अपने अधिकारों के लिए सड़क से लेकर अदालत तक हर लड़ाई लड़ेगी।