गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (IIA) की गाजियाबाद शाखा ने एक बार फिर प्रदेश सरकार से औद्योगिक भूखंडों को फ्री होल्ड में बदलने की पुरज़ोर मांग उठाई है। प्रेसवार्ता में संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि यह न केवल उद्यमियों के लिए राहतकारी कदम होगा, बल्कि सरकार को भी अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी।
IIA के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सिंघल ने बताया कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में एक हेक्टेयर या उससे बड़े भूखंडों के लिए फ्री होल्ड की नीति है, लेकिन इसका लाभ सूबे के MSME सेक्टर को नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा कि छोटे उद्योगों को हर कार्य के लिए यूपीसीडा या उद्योग निदेशालय से अनुमति लेनी पड़ती है, जिससे न केवल समय की बर्बादी होती है बल्कि भ्रष्टाचार की संभावना भी बढ़ती है।
अन्य राज्यों में पहले से लागू है फ्री होल्ड नीति
गाजियाबाद IIA के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में पहले से ही फ्री होल्ड नीति लागू है। उन्होंने बताया कि लीज होल्ड भूमि का प्रावधान ब्रिटिश शासनकाल की मानसिकता का प्रतीक है, और अब समय आ गया है कि इस प्रणाली को बदला जाए।
'गुलामी के प्रतीकों' से मुक्ति की आवश्यकता
संजय अग्रवाल ने कहा कि आजादी के अमृत काल में सरकारें गुलामी के सभी चिन्हों को समाप्त करने का संकल्प ले रही हैं। ऐसे में लीज होल्ड व्यवस्था को भी समाप्त कर फ्री होल्ड प्रणाली अपनाना तर्कसंगत कदम होगा।
फ्री होल्ड से ईज ऑफ डूइंग मैन्युफैक्चरिंग को मिलेगा बढ़ावा
पदाधिकारियों ने बताया कि यदि भूमि को फ्री होल्ड किया जाता है तो इससे "ईज ऑफ डूइंग मैन्युफैक्चरिंग" को मजबूती मिलेगी, निवेश बढ़ेगा और उद्यमियों का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। वहीं, सरकार को भी भूमि के स्थानांतरण, विक्रय आदि पर राजस्व की प्राप्ति होगी।
प्रेस वार्ता में शामिल हुए कई उद्योग संगठन
प्रेसवार्ता में IIA के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सिंघल, CEC सदस्य मनोज कुमार, चैप्टर चेयरमैन संजय अग्रवाल, सचिव हर्ष अग्रवाल, कोषाध्यक्ष संजय गर्ग के अलावा अन्य पदाधिकारी प्रदीप गुप्ता, अमित नागलिया, यश जुनेजा, साकेत अग्रवाल शामिल हुए।
इसके अलावा, गाजियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन के अध्यक्ष अरुण शर्मा, AIMA के अध्यक्ष सुशील अरोड़ा, AIMMA के अध्यक्ष बृजेश अग्रवाल, और ASCMa के अध्यक्ष सत्यभूषण गुप्ता भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।