गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
हॉट सिटी गाजियाबाद में नकली दवाओं का कारोबार जमकर फल-फूल रहा है.गांव से लेकर शहर में नकली दवाओं की बिक्री कर जालसाज मालामाल हो रहे हैं. वही इस संबंध में कभी-कभी औषधि प्रशासन विभाग की नींद खुलती है और यदा कदा कार्रवाई के नाम पर खाना पूर्ति भी की जाती है ऐसे में नकली दवा के कारोबारी पर लगाम लगाना लगभग नामुमकिन सा दिख रहा है।
एक अनार सौ बीमार
गाजियाबाद में लगभग 40 लाख लोग रहते हैं हमारे शहर को हॉस्पिटल सिटी भी कहा जाता है जहां 7000 से ज्यादा अस्पताल क्लिनिक एवं स्वास्थ्य संस्थाएं पंजीकृत हैं निश्चित रूप से इस आबादी के लिए मेडिकल स्टोर्स की संख्या लाखों में होना लाजमी है हालांकि हज़ारों मेडिकल स्टोर गाजियाबाद में संचालित किया जा रहे हैं। ऐसे में मेडिकल स्टोर्स की चेकिंग के लिए एक बड़ी टीम होना आवश्यक है जो समय-समय पर क्रम अनुसार मेडिकल स्टोर्स पर बिकने वाली दावों को चेक कर सके।
सिर्फ एक निरीक्षक
बड़ी बात यह है कि जहां अनुमान के अनुसार हज़ारों मेडिकल स्टोर गाजियाबाद में संचालित किया जा रहे हैं वहीं सिर्फ एक निरीक्षक की तैनाती औषधि प्रशासन विभाग में है। हालांकि अभी तक सिर्फ दो औषधि निरीक्षक गाजियाबाद में तैनात थे लेकिन पवन कुमार का ट्रांसफर झांसी हो गया जिसके बाद आशुतोष मिश्रा ही एकमात्र निरीक्षक है जो विभाग में तैनात हैं।
24 से अधिक दवाओं में मिलावटः
गोरखपुर की औषधि टीम ने छापा मारकर कुछ नकली दावों के कारोबारी पर शिकंजा कैसा है जिसका कनेक्शन गाजियाबाद और नोएडा की कंपनियों से बताया जाता है। दवा की इस मिली भगत में ब्रांडेड दवा के नाम पर मिलती-जुलती दवाई सस्ते दर पर बेची जाती है. इसमें ज्यादातर कैंसर, गठिया, गर्भपात, फेफड़े और संक्रमण के अलावा प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ी दवायें शामिल हैं. दो दर्जन से अधिक दवाएं एलोपैथिक हैं, जिनके मिश्रण में मिलावट पाया गया है. यह दवाएं एलर्जी, बुखार, दर्द और पेट से संबंधित हैं.
सेहत के साथ खिलवाड़ः
विभाग के सूत्रों ने बताया कि लगभग छः माह पूर्व गाजियाबाद और नोएडा में दवा बनाने की नकली कंपनी पकड़ी गई थी. यहां से पता चला कि ऐसी दवाएं गोरखपुर- वाराणसी के रास्ते बिहार और पश्चिम बंगाल के अलावा अन्य राज्य तक पहुंच रही हैं. पकड़े गए लोगों ने बताया था कि नकली दवा के धंधे में दो नेटवर्क काम करता है. एक नेटवर्क हिमाचल और पंजाब में चल रही कंपनियों से दवा को गोरखपुर की मंडी तक लाता है और इसके बाद दूसरा नेटवर्क उसे छोटे-छोटे बाजार तक पहुंचाता है. इसी मिलीभगत में लोगों के सेहत के साथ खिलवाड़ और जालसाज मालामाल हो रहे हैं.