गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद के 24 थानों में लगभग 20,000 से अधिक वाहन वर्षों से बिना निस्तारण के पड़े हुए हैं, जो अब धीरे-धीरे कबाड़ और कूड़े में तब्दील हो रहे हैं। यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक है, बल्कि देश की न्यायिक और संवैधानिक व्यवस्था पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। इन वाहनों का लंबे समय तक थानों में पड़े रहना न केवल स्थान की समस्या पैदा करता है, बल्कि थानों की स्वच्छता व्यवस्था को भी प्रभावित करता है। यह ख़बर उन लोगों के लिए भी एक सुखद संदेश है जो स्क्रैप का काम करते हैं और विभिन्न सरकारी विभागों से स्क्रैप की खरीद करते हैं।
हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस गंभीर मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट कहा है कि सजा अपराधी को मिलनी चाहिए, न कि उन वाहनों को जो केवल अपराध से संबंधित सबूत के तौर पर जब्त किए गए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि ये वाहन केवल सबूत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय विकास के पहिए हैं। इनका लंबे समय तक उपयोग न हो पाना संसाधनों की बर्बादी है।
मुख्य सचिव को किया निर्देशित
कोर्ट के आदेश के अनुसार, प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिया गया है कि वह एक उच्च स्तरीय समन्वय समिति का गठन करें और छह महीने के भीतर एक स्पष्ट और प्रभावी नीति तैयार करें, जिससे वर्षों से जप्त वाहनों का उचित और समयबद्ध निस्तारण हो सके। यह निर्णय न केवल प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि इससे न्यायिक प्रक्रिया की गति भी बढ़ेगी।
थानों की हालत में सुधार
इन वाहनों के निस्तारण से थानों में जगह की कमी दूर होगी, जिससे पुलिस कार्यप्रणाली में सुधार आएगा और जनता को भी बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी। साथ ही, कबाड़ में तब्दील हो रहे इन वाहनों का सही तरीके से उपयोग या पुनर्नवीनीकरण कर पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दिया जा सकता है।
गाजियाबाद कमिश्नरेट को भी लाभ
यह समस्या सिर्फ गाजियाबाद तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश के विभिन्न राज्यों के थानों में यही स्थिति देखी जा सकती है। इसलिए यह जरूरी है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर एक समन्वित नीति बनाएं, जिससे जप्त वाहनों के निस्तारण की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और समयबद्ध बनाया जा सके।
संसाधनों समुचित उपयोग
यह कदम कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के साथ-साथ संसाधनों के समुचित उपयोग की दिशा में एक ठोस पहल साबित होगा। न्यायालय का यह हस्तक्षेप प्रशासनिक तंत्र को सतर्क करने के साथ-साथ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा में भी सहायक सिद्ध होगा।