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पंडित धीरज शर्मा भाजपा नेता
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
हाल ही में नंदग्राम थाना क्षेत्र में भाजपा नेता, प्रोफेसर एवं राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे पंडित धीरज शर्मा के साथ कथित पुलिस दुर्व्यवहार का मामला सामने आया है। धीरज शर्मा ने आरोप लगाया कि नंदग्राम पुलिस ने उन्हें बिना किसी ठोस कारण के लगभग 45 मिनट तक लॉकअप में बंद रखा और इस दौरान उनके हाथ में बंधा धार्मिक प्रतीक ‘कलावा’ भी तोड़ दिया गया। धीरज शर्मा ने कहा कि वह 45 मिनट उनके लिए ऐसे गुजरे की जैसे वह आतंकी है या फिर कश्मीर में आतंकियों के बीच फंस गए हैं।
आत्मा को झकझोर दिया
धीरज शर्मा का यह भी कहना है कि उनके साथ इस प्रकार का व्यवहार न केवल उनके व्यक्तिगत सम्मान के खिलाफ है, बल्कि भाजपा के एक समर्पित कार्यकर्ता और राष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने वाला है। उन्होंने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की माँग की है।
सत्ताधारी नेता का यह हाल
समाज और राजनीतिक हलकों में इस घटना को लेकर बहस छिड़ गई है। कई नेताओं और सामाजिक संगठनों ने धीरज शर्मा के साथ एकजुटता जताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि किसी सम्मानित नागरिक के साथ इस प्रकार का दुर्व्यवहार हो सकता है, तो आम जनता के साथ न्याय की उम्मीद करना कठिन होगा।
पुलिस आचरण पर सवाल
इस घटना ने पुलिस प्रशासन के कामकाज और आचरण पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस का दायित्व है कि वह कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करे। लेकिन जब वही पुलिस बल अनुशासनहीनता का प्रदर्शन करता है, तो जनता का विश्वास डगमगाने लगता है।
पूर्ण न्याय मिलने तक संघर्ष जारी
धीरज शर्मा का कहना है कि वह न्याय मिलने तक संघर्ष करते रहेंगे और आवश्यकता पड़ी तो उच्च न्यायालय तक भी जाएंगे। इस प्रकरण से एक बार फिर स्पष्ट हुआ है कि पुलिस सुधार और जवाबदेही की व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
पुलिस पर है निर्भर
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी से और कितनी पारदर्शिता के साथ कार्रवाई करता है, और क्या धीरज शर्मा को न्याय मिल पाता है या नहीं। फिलहाल, पूरे मामले पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।