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बढ़ती महंगाई
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद में बढ़ती गर्मी का असर केवल लोगों की सेहत और दिनचर्या पर ही नहीं, बल्कि उनकी रसोई पर भी साफ दिख रहा है। गर्मी के बढ़ते तापमान के साथ ही फल और हरी सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं। आम जनता के लिए रोजमर्रा की सब्जियां और फल खरीदना मुश्किल होता जा रहा है। स्थानीय बाजारों में टमाटर, भिंडी, लौकी, ककड़ी, खीरा, धनिया, नींबू जैसी आम सब्जियों के दाम दोगुने हो चुके हैं। इसी प्रकार, आम, तरबूज, अंगूर, सेब जैसे फलों की कीमतों में भी तेज़ उछाल देखा जा रहा है।
सप्लाई डिमांड में अंतर
इस महंगाई के पीछे सबसे बड़ा कारण सप्लाई और डिमांड के बीच का असंतुलन है। गर्मी में सब्जियों की खेती और फलों का उत्पादन प्रभावित होता है। तेज़ धूप और पानी की कमी के कारण खेतों में फसलें सूखने लगती हैं। इससे उपज में गिरावट आती है और मंडियों में माल की सप्लाई कम हो जाती है। वहीं दूसरी ओर, गर्मी में हाइड्रेट रहने और ठंडक पाने के लिए फलों और सब्जियों की मांग तेजी से बढ़ जाती है। यह बढ़ती मांग और घटती आपूर्ति मिलकर दामों को आसमान तक पहुंचा देती हैं।
तेजी से बढ़ती महंगाई
उदाहरण के तौर पर, जो टमाटर पहले ₹20-₹25 किलो मिल रहा था, अब वही ₹50-₹60 किलो में बिक रहा है। भिंडी और तोरई जैसी हरी सब्जियां ₹80-₹100 किलो तक पहुंच गई हैं। नींबू, जो गर्मी में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होता है, ₹200 किलो तक बिक रहा है। इसी तरह आम और तरबूज जैसे फल भी ₹60-₹100 किलो की रेंज में बिक रहे हैं।फल और सब्जियों के महंगे होने से आम जनता की रसोई का बजट बिगड़ गया है। रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना मुश्किल हो गया है, खासकर उन परिवारों के लिए जो सीमित आय पर निर्भर हैं। छोटे दुकानदार और ठेले वाले भी महंगाई से परेशान हैं क्योंकि महंगे माल के चलते ग्राहकों की खरीदारी कम हो रही है।
स्थिति पर नियंत्रण आवश्यक
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन को कुछ कदम उठाने की ज़रूरत है। सबसे पहले, किसानों को सिंचाई और कृषि उपकरणों में सहायता दी जाए ताकि गर्मी में भी पर्याप्त उत्पादन हो सके। इसके अलावा, मंडियों में बिचौलियों पर नियंत्रण और उचित आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करना आवश्यक है।अगर समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो आने वाले दिनों में यह महंगाई और भी अधिक बढ़ सकती है और आम जनता पर बोझ और बढ़ जाएगा। इसलिए जरूरत है एक संतुलित और प्रभावी नीति की, जो किसानों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं — सभी के हितों की रक्षा कर सके।