/young-bharat-news/media/media_files/2025/09/01/vivektiyagi-2025-09-01-23-44-34.jpg)
VivekTiyagi
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता। साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से गाजियाबाद पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। थाना साइबर क्राइम पुलिस ने फर्जी ईमेल आईडी बनाकर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के अधिकारियों को झूठे मामलों में फंसाकर ब्लैकमेल कर अवैध वसूली करने का प्रयास करने वाले एक आरोपी पत्रकार विवेक त्यागी को गिरफ्तार किया है। आरोपी एक प्रतिष्ठित अखबार का पत्रकार है। पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश किया जहां से जमानत मिल गई।
सहायक अभियंता ने की थी शिकायत
मामले की शुरुआत तब हुई जब जीडीए के सहायक अभियंता पीयूष सिंह ने पुलिस को तहरीर दी। उन्होंने शिकायत दर्ज कराई कि अज्ञात व्यक्ति द्वारा फर्जी ईमेल आईडी बनाई गई और उसके जरिए जीडीए अधिकारियों के विरुद्ध गंभीर लेकिन झूठे आरोप लगाते हुए शासन-प्रशासन को लगातार ईमेल भेजे जा रहे हैं। इसका उद्देश्य अधिकारियों पर दबाव बनाकर उनसे धन की अवैध वसूली करना था। शिकायत के आधार पर पुलिस ने तत्काल अभियोग पंजीकृत कर विवेचना शुरू की।
मोबाइल से खुला राज़
जांच में खुलासा हुआ कि आरोपी पत्रकार विवेक त्यागी पुत्र शिवकुमार त्यागी निवासी ग्राम डूंडाहेड़ा, विजयनगर ने अपने मोबाइल नंबर से इंटरनेट का इस्तेमाल कर उक्त फर्जी ईमेल आईडी तैयार की थी। पूछताछ में विवेक ने पुलिस को बताया कि उसने अपनी असली पहचान छिपाने के लिए फर्जी ईमेल का सहारा लिया था। इन ईमेल आईडी से वह अधिकारियों के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप भेजता और फिर दबाव बनाकर पैसों की मांग करता था। पैसे प्राप्त होने पर वह शिकायतें वापस ले लेता था।
साइबर पुलिस एक्शन में
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह तरीका साइबर अपराध की श्रेणी में आता है, जिसमें डिजिटल माध्यम से दबाव बनाकर अवैध लाभ उठाने की कोशिश की जाती है। आरोपी विवेक त्यागी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 308(2), 62 तथा सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम 2008 की धारा 66डी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
बेहद चर्चित मामला
साइबर क्राइम थाना प्रभारी ने बताया कि ऐसे मामलों में पुलिस सतर्कता के साथ काम कर रही है। आम जनता को भी सतर्क रहने की अपील की गई है कि यदि किसी संदिग्ध ईमेल या संदेश के जरिए ब्लैकमेल या अवैध मांग की जाती है तो तत्काल पुलिस को सूचित करें।यह गिरफ्तारी गाजियाबाद पुलिस की बड़ी सफलता मानी जा रही है क्योंकि आरोपी द्वारा बार-बार फर्जी ईमेल भेजकर न केवल अधिकारियों की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही थी बल्कि शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिह्न खड़े किए जा रहे थे।