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एसडीम अदालत को चुनौती
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
गिरते भूजल स्तर में सुधार की दिशा में जहां तालाबों के जीणोर्दार किए जाने के दावे किए जा रहे है,लेकिन भू-माफियाओ में दूर तक भी किसी तरह का खौफ दिखाई नहीं दे रहा है। रजापुर ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम रसूलपुर सिकरोडा में भू-माफियाओ के द्वारा एसडीएम अदालत के प्रतिबंध के बावजूद न केवल तालाब की जमीन बेचे जाने बल्कि तालाब की जमीन पर प्लाटिंग किए जाने का मामला सामने आया है।
स्टे के बावजूद प्लाटिंग
जानकारों की मानें तो तालाब की जमीनों पर प्लाटिंग का खेल जिले के दूसरे ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखा जा सकता है। बताते है कि सीलिंग की जमीनों पर भी जिले में अनाधिकृत कालोनी काटे जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ग्राम प्रधान मुकम्मिल के द्वारा पूरे प्रकरण को लिखित में डीएम और एसडीएम के सामने उठाया है।
लेटर से हुआ खुलासा
लेटर के माध्यम से खुलासा किया गया कि ग्राम रसूलपुर सिकरोडा ब्लाक रजापुर के खसरा संख्या 427 जो कि तालाब के रूप में दर्ज है। एसडीएम कोर्ट में वाद संख्या 5521/2022 में पारित आदेश में जमीन की किसी भी तरह से खरीद फरोख्त पर प्रतिबंध लगाया गया है।पटवारी की रिपोर्ट में भी ये स्पष्ट उल्लेख है कि खसरा संख्या 427 की जमीन तालाब के रूप मं दर्ज है। इसके बावजूद भू माफियाओं के द्वारा न केवल जमीन की खरीद पफरोख्त की जा रही है,बल्कि तालाब की जमीन पर कालोनी काटे जाने का खेल देखा जा सकता है।
रजिस्ट्री का खेल
बाकायदा भूमाफियाओं के द्वारा बैनामें किए गए है। ज्यादातर बैनामें साल 2023-24 के दौरान किए गए। बाकायदा लेटर में बैनामों की जिल्द आदि का उल्लेख किया गया है। लेटर के माध्यम से तालाब की जमीन को बेचने वाले भू माफियाओ के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने एवं तालाब की जमीन पर अनाधिकृत कालोनी काटने वाले तमाम कालोनाइजरों पर भी कार्रवाई किए जाने का आग्रह किया गया है।
बुलडोजर का खौफ नहीं
बाकायदा एसडीएम को बैनामों की प्रति भी उपलब्ध करायी गई है। बताते है कि दिल्ली से लगे गाजियाबाद में जमीनों के आस-मान छू रहे दामों के बीच जीडीए की बुलडोजर कार्रवाई के बाद भी अनाधिकृत कालोनी काटे जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जानकार बताते है कि जीडीए के अधिकांश जोन क्षेत्र में अनाधिकृत कालोनी काटे जाने का खेल देखा जा सकता है।ये स्थिति किसी एक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। कुछ एरिया में भू माफिया ये भी देखने को तैयार नहीं है कि जिस जमीन पर उनके द्वारा कालोनी काटी जा रही है वह सरकारी है अथवा किसान की निजी संपत्ति है। यहां बता दे कि महापौर के द्वारा लाइनपार के मीठापुर,सजवान नगर डूंडा हेडा में दौरा किया तो उजागर हुआ कि जिस जमीन पर लोगों के द्वारा मकान बनाए गए है,वह निगम की संपत्ति है।
ठंडा बस्ती में मामला
निगम जमीन पर अवैध निर्माण का मामला सामने आने पर एक्शन लेने के साथ ही निगम संपत्ति के बोर्ड लगाए गए थे। पुन:निगम की जमीन पर कब्जा कर लिया गया है। बताते है कि स्थिति यही तक सीमित नहीं है। निगम के संपत्ति विभाग से उजागर हुआ कि निगम की सरकारी जमीन पर अनाधिकृत निर्माण का मामला सामने आने पर निगम के संपत्ति विभाग के द्वारा पुलिस में एफआईआर के बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। इस एफआईआर के बाद दूसरा पक्ष अदालत से स्थगन आदेश हासिल करने में कामयाब हो जाता है।