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लेटेस्ट टेक्नोलॉजी
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
प्रधानमंत्री के "टीबी मुक्त भारत" के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है। अब लेटेंट टीबी के संक्रमण की पहचान के लिए CY-TB जांच की शुरुआत हो गई है। इस जांच से उन लोगों में भी टीबी का संक्रमण पहचाना जा सकता है, जिनमें अभी यह सक्रिय नहीं है, लेकिन भविष्य में टीबी रोग के रूप में विकसित हो सकता है।
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लेटेस्ट टेक्नोलॉजी
लेटेंट टीबी का मतलब है कि शरीर में टीबी के जीवाणु मौजूद हैं लेकिन वे फिलहाल निष्क्रिय हैं। हालांकि, यह संक्रमण भविष्य में सक्रिय टीबी का रूप ले सकता है। ऐसे मामलों की समय रहते पहचान कर टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (TPT) के जरिए इलाज संभव है, जिससे व्यक्ति को भविष्य में टीबी से बचाया जा सकता है।
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम
CY-TB जांच की शुरुआत डॉ. अनिल यादव द्वारा राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद गाजियाबाद में की गई। इस मौके पर डॉ. अखिलेश मोहन ने बताया कि यह जांच टीबी मुक्त भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण और प्रभावी कदम है। इसके जरिए उच्च जोखिम वाले लोगों की जांच कर समय रहते इलाज शुरू किया जा सकेगा।
उच्च जोखिम समूह
पहले चरण में इस जांच के लिए उच्च जोखिम समूह को चुना गया है, जिनमें टीबी रोगियों के संपर्क में आए लोग, 60 वर्ष से अधिक आयु के नागरिक, मधुमेह से ग्रसित, धूम्रपान व मद्यपान करने वाले, कम प्रतिरोधक क्षमता वाले, डायलिसिस पर चल रहे मरीज तथा कैंसर का इलाज ले रहे लोग शामिल हैं।
किया गया प्रशिक्षित
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अनिल यादव ने बताया कि जिले की सभी टीबी यूनिट के प्रभारी, चयनित स्टाफ नर्सें और एएनएम को इस कार्यक्रम के लिए पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उन्होंने बताया कि इस पहल से जिले में टीबी की रोकथाम को गति मिलेगी।
यह रहे मौजूद
इस अवसर पर उपजिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. नेहा गोस्वामी, जिला कार्यक्रम समन्वयक राघवेंद्र सिंह चौहान, पीपीएम कोऑर्डिनेटर दीपाली गुप्ता सहित स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे। CY-TB जांच के जरिए टीबी की समय पर पहचान और रोकथाम संभव होगी, जिससे प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य और सशक्त हो सकेगा।