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नगर आयुक्त को दिया लीगल नोटिस
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
शहर में जलभराव की समस्या अब सिर्फ असुविधा का विषय नहीं रह गई, बल्कि यह कानूनी लड़ाई का कारण बन गई है। वसुंधरा निवासी समाजसेवी अमित किशोर ने जलभराव से हुए नुकसान के बाद नगर निगम गाजियाबाद के आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक को कानूनी नोटिस भेजा है। उन्होंने नगर निगम पर घोर लापरवाही, भ्रष्टाचार और जवाबदेही से बचने के गंभीर आरोप लगाए हैं।
23 जुलाई का मामला
अमित किशोर ने बताया कि 23 जुलाई को जब वह साहिबाबाद के लाजपत नगर से वसुंधरा लौट रहे थे, तो रास्ते में भयंकर जलभराव के कारण उनकी मर्सिडीज कार पानी में बंद हो गई। कार को क्रेन से निकालकर नोएडा स्थित सर्विस सेंटर ले जाना पड़ा, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हुआ। इसके बाद उन्होंने नगर आयुक्त को एक कानूनी नोटिस भेजते हुए मानसिक क्षतिपूर्ति व कार मरम्मत के लिए पाँच लाख रुपये की मांग की है।
नगर निगम पर गंभीर आरोप
नोटिस में साफ तौर पर नगर निगम पर कई आरोप लगाए गए हैं, जिनमें मानसून से पहले नालों की सफाई न कराना, अतिक्रमण को बढ़ावा देना, नागरिकों की शिकायतों को नज़रअंदाज़ करना और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग जैसी बातें शामिल हैं। अमित किशोर का कहना है कि यह मामला केवल उनकी कार के नुकसान का नहीं, बल्कि पूरे गाजियाबाद के नागरिकों के हक और अधिकार से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा, "जब जनता टैक्स देती है, तो प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराए।
जवाब के लिए 15 दिन का समय
अमित किशोर के अधिवक्ता प्रेम प्रकाश ने बताया कि यदि 15 दिनों के भीतर संतोषजनक जवाब नहीं मिला और दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल करेंगे। साथ ही लोकायुक्त, दीवानी अदालत और भ्रष्टाचार निवारक एजेंसियों के समक्ष भी शिकायत दर्ज करवाई जाएगी। इस पूरे मामले में नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और अगर किसी की लापरवाही पाई गई तो उस पर उचित कार्रवाई होगी।
जल भराव बड़ी समस्या
गौरतलब है कि हर साल मानसून के दौरान गाजियाबाद के कई इलाकों में जलभराव की समस्या सामने आती है, जिससे आम जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह मामला एक नई मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है, जहां नागरिक अपने अधिकारों के लिए कानूनी रास्ता अपनाकर प्रशासन को जवाबदेह ठहरा रहे हैं।यह देखना दिलचस्प होगा कि इस नोटिस के बाद नगर निगम अपने कामकाज में कोई सुधार लाता है या नहीं। फिलहाल, यह मामला शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है और अन्य नागरिकों को भी अपने हक के लिए आवाज़ उठाने की प्रेरणा दे रहा है।
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