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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता।
श्रीदूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर और श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अन्तर्राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत नारायण गिरि महाराज का दावा है कि इस बार महाशिवरात्रि महापर्व 26 को है । मगर, पवित्र योग बन रहा है। जिसके चलते शिव चौदस का जल श्रद्धालु दो दिन तक चढ़ा सकेंगे।
इन दो दिन चढ़ेगा शिव चौदस का जल
महंत नारायण गिरी के मुताबिक चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी और उसका समापन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा। लिहाजा शिव भक्तों को 26 और 27 फरवरी को भी चौदस का जल चढ़ाने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
महाशिवरात्रि पर्व 26 को
महाराजश्री ने बताया कि इस बार चतुर्दशी दो दिन है, मगर महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को ही मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में व्रत-त्योहार को उदया तिथि के आधार पर मनाने की परंपरा है, मगर महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान शिव का जलाभिषेक व पूजा-अर्चना रात्रि में होती है। इसी कारण महाशिवरात्रि पर्व 26 फरवरी को ही मनाया जाएगा।
वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है महाशिवरात्रि-महंत
यूं तो हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि पर्व का बहुत अधिक महत्व है। इस पर्व भगवान शिव का व्रत रख्कर, उनकी पूजा-अर्चना करने व जलाभिषेक करने से हर प्रकार के कष्ट दूर होते हैं और भगवान शिव की कृपा से सुख-समृद्धि व खुशहाली की प्राप्ति होती है। लेकिन श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज का कहना है कि महाशिवरात्रि पर्व का आध्यात्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी बहुत अधिक महत्व है। महाशिवरात्रि पर्व की रात उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार से अवस्थित होता है कि मनुष्य के शरीर के भीतर की ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर ब्रह्मांड की ओर जाने लगती है। ऐसा लगता है कि मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक पहुंचाने में खुद प्रकृति भी मदद कर रही है। महाशिवरात्रि की रात को रीढ़ सीधी करके ध्यान मुद्रा में बैठने या मंत्रोच्चारण आदि करने से व्यक्ति को इस प्राकृतिक स्थिति का ज्यादा से ज्यादा फायदा मिलता है, जिससे उसका बल व आत्मविश्वास बढता है।
सनातन में मान्यता
सनातन धर्म और पुराणों के मुताबिक महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिरों में जलाभिषेक करने का बहुत अधिक महत्व है। महाशिवरात्रि पर्व पर जलाभिषेक करने व पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव की कृपा से सभी संकट व कष्ट दूर होते हैं। सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसी कारण महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिरों में लाखों-करोड़ों भक्तों का सैलाब उमडता है।