गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं का एक अहम आधार माने जाने वाले मेडिकल स्टोरों की संख्या को लेकर ड्रग विभाग की अनभिज्ञता ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। औषधि विभाग से जब यह पूछा गया कि जनपद में कुल कितने मेडिकल स्टोर संचालित हो रहे हैं, तो विभाग के निरीक्षक आशुतोष मिश्रा ने यह स्वीकार किया कि उनके पास इस विषय में कोई स्पष्ट आंकड़ा मौजूद नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि 24 घंटे में लिस्ट उपलब्ध कराई जा सकती है। यह जवाब न केवल विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि इस बात की भी आशंका बढ़ाता है कि एक ही लाइसेंस पर कई मेडिकल स्टोर अवैध रूप से संचालित हो रहे होंगे।
कई बार मिली है शिकायतें
भारत में औषधि नियंत्रण अधिनियम और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के अंतर्गत मेडिकल स्टोरों का संचालन एक सख्त प्रक्रिया के तहत किया जाना चाहिए। हर मेडिकल स्टोर को वैध लाइसेंस के साथ-साथ प्रशिक्षित फार्मासिस्ट की उपस्थिति अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करनी होती है। लेकिन जब नियामक संस्था ही यह नहीं जानती कि कितने मेडिकल स्टोर अस्तित्व में हैं, तब यह मानना गलत नहीं होगा कि नियमों की धज्जियां उड़ रही होंगी।
साफ लापरवाही
इस स्थिति के पीछे विभाग की लापरवाही, संसाधनों की कमी, और डिजिटल रिकॉर्ड न होने जैसी समस्याएं जिम्मेदार मानी जा सकती हैं। विभाग अगर नियमित रूप से निरीक्षण करे, सही डाटा बेस बनाए और डिजिटल सिस्टम को अपनाए तो इस तरह की समस्याओं पर अंकुश लगाया जा सकता है। वर्तमान स्थिति में यह भी संभव है कि कई मेडिकल स्टोर बिना लाइसेंस या नवीनीकरण के चल रहे हों। वहीं, कुछ स्थानों पर एक ही लाइसेंस के नाम पर दो या अधिक स्टोर चलाए जा रहे हों — जो कि स्पष्ट रूप से गैरकानूनी है।
नियमों की अवहेलना
इस लापरवाही का सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। अवैध मेडिकल स्टोरों से बेची जा रही दवाओं की गुणवत्ता संदिग्ध हो सकती है, और प्रशिक्षित फार्मासिस्ट के बिना दवा का वितरण स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है। नकली या एक्सपायर्ड दवाओं के चलन में आने की संभावना भी बढ़ जाती है।
गंभीरता आवश्यक
सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए औषधि विभाग की जवाबदेही तय करनी चाहिए। एक व्यापक सर्वे के माध्यम से जिले में संचालित सभी मेडिकल स्टोरों की सूची तैयार की जाए और उसे सार्वजनिक डोमेन में लाया जाए। साथ ही, तकनीक का उपयोग करते हुए एक पारदर्शी ऑनलाइन पोर्टल बनाया जाए जिसमें प्रत्येक स्टोर का लाइसेंस, वैधता, फार्मासिस्ट की जानकारी और अन्य आवश्यक विवरण अपडेट किए जाएं।
नियंत्रण जरूरी
जनस्वास्थ्य की सुरक्षा तभी संभव है जब औषधियों के वितरण पर मजबूत नियंत्रण हो। और यह तभी संभव होगा जब नियामक संस्थाएं स्वयं जागरूक, सक्षम और जवाबदेह हों। वरना मेडिकल स्टोर की आड़ में अवैध कारोबार, नकली दवाओं की बिक्री और आम जनता के जीवन से खिलवाड़ जैसी घटनाएं बढ़ती रहेंगी।