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ऊर्जा मंत्री से मुलाकात
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
प्राइवेट चिकित्सक मेडिकल एसोसिएशन (पीसीएमए) की कोर कमेटी ने रविवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री सोमेंद्र तोमर से उनके सरकारी आवास पर शिष्टाचार भेंट की। इस मुलाकात का उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर कार्यरत चिकित्सकों की समस्याओं और उनकी मांगों को मंत्री के समक्ष प्रस्तुत करना था।
ऊर्जा मंत्री से मुलाक़ात
पीसीएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एस.के. शर्मा के नेतृत्व में पहुंची कोर कमेटी ने ऊर्जा मंत्री से विस्तारपूर्वक वार्ता की। इस दौरान चिकित्सकों ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव सबसे बड़ी चुनौती है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों की कमी, दवाओं का अभाव और मरीजों को मिलने वाली चिकित्सा सुविधाओं की सीमित उपलब्धता के कारण ग्रामीण जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।चिकित्सकों ने यह भी कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत निजी चिकित्सक सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करते हैं। ऐसे में उनके अधिकारों, सुविधाओं और सुरक्षा का ध्यान रखना भी उतना ही आवश्यक है। समिति ने यह मांग रखी कि ग्रामीण चिकित्सकों को मान्यता देने, प्रशिक्षण कार्यक्रमों को मजबूत करने और उनके हितों की रक्षा के लिए राज्य सरकार विशेष पहल करे।
पीसीएमए की रखी मांग
ऊर्जा मंत्री सोमेंद्र तोमर ने कोर कमेटी की बातों को ध्यानपूर्वक सुना और भरोसा दिलाया कि वह इस विषय को संबंधित विभागों और मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत करना सरकार की प्राथमिकता है और इसमें निजी चिकित्सकों की भागीदारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।इस अवसर पर पीसीएमए कोर कमेटी के वरिष्ठ सदस्य भी उपस्थित रहे। इनमें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. आर.के. शर्मा, राष्ट्रीय महासचिव डॉ. जमील खान, राष्ट्रीय प्रमुख सचिव डॉ. जुबेर त्यागी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डॉ. आर.के. वर्मा, जिला अध्यक्ष गाजियाबाद डॉ. सूरज नायक एवं उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष दीपक बिष्ट शामिल थे।
लगातार काम जारी
बैठक के अंत में राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. एस.के. शर्मा ने कहा कि संगठन हमेशा ग्रामीण चिकित्सकों की आवाज को बुलंद करता रहा है और भविष्य में भी इसी दिशा में काम करता रहेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सरकार उनकी मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाएगी।इस मुलाकात से पीसीएमए के चिकित्सकों में उत्साह देखा गया। उनका मानना है कि सरकार की मदद से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सशक्त किया जा सकेगा।