गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
नगर निगम द्वारा हाल ही में टैक्स में की गई 3 से 5 गुना वृद्धि के खिलाफ व्यापारियों में भारी असंतोष देखने को मिल रहा है। इस मुद्दे को लेकर पूरे क्षेत्र के व्यापार मंडल एकजुट हो गए हैं और विरोध स्वरूप एक संगठित अभियान की शुरुआत की गई है। इसी क्रम में मुरादनगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक अजीत पाल त्यागी को व्यापार मंडल के प्रतिनिधिमंडल ने एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें टैक्स वृद्धि को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग की गई।
यह रहे मौजूद
ज्ञापन सौंपने के दौरान संजय नगर व्यापार मंडल के पदाधिकारी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। व्यापार मंडल के चेयरमैन प्रदीप गर्ग, अध्यक्ष विपिन गोयल, महामंत्री हरीश शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजा त्यागी, ठाकुर बबलू सिंह और दीपक त्यागी सहित कई अन्य व्यापारी नेता इस मौके पर मौजूद थे। सभी ने एक सुर में नगर निगम के इस निर्णय को व्यापार विरोधी बताते हुए इसे आम जनमानस और छोटे व्यापारियों के लिए विनाशकारी कदम करार दिया।
व्यापारियों के लिए बुरे हालात
ज्ञापन में यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि मौजूदा आर्थिक हालात में व्यापार पहले से ही मंदी की मार झेल रहा है। कोविड-19 महामारी और उसके बाद की आर्थिक सुस्ती ने व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। ऐसे में टैक्स में इस प्रकार की भारी बढ़ोतरी व्यापारी वर्ग के लिए एक और बोझ साबित होगी। यह न सिर्फ व्यापार को प्रभावित करेगा, बल्कि बेरोजगारी और आर्थिक असमानता को भी बढ़ावा देगा।
वापस हो टैक्स वृद्धि
व्यापार मंडल ने यह चेतावनी भी दी कि यदि नगर निगम ने शीघ्र ही यह टैक्स वृद्धि वापस नहीं ली, तो व्यापारी वर्ग को मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ेगा और बड़ा आंदोलन किया जाएगा। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि टैक्स वृद्धि बिना किसी सार्वजनिक परामर्श के की गई है, जो कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। व्यापारियों की भागीदारी और राय लिए बिना ऐसा निर्णय लिया जाना अस्वीकार्य है। विधायक अजीत पाल त्यागी ने व्यापारियों की बात को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि वे इस मुद्दे को नगर निगम और राज्य सरकार के समक्ष उठाएंगे। उन्होंने कहा कि वह व्यापारियों के हितों के साथ हैं और ऐसी किसी भी नीति का विरोध करेंगे जो व्यापार को नुकसान पहुंचाती हो।
व्यापारी एकजुट
इस मौके पर व्यापारी समुदाय में एकजुटता और संघर्ष के भाव स्पष्ट रूप से दिखाई दिए। सभी पदाधिकारियों और व्यापारियों ने संकल्प लिया कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एक मंच पर रहेंगे और जरूरत पड़ी तो व्यापक स्तर पर आंदोलन करेंगे। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब जनता पर अत्यधिक बोझ डाला जाता है, तो लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि और नागरिक समाज मिलकर उसका विरोध करते हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि नगर निगम व्यापारियों की इस मांग पर क्या प्रतिक्रिया देता है।