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गर्मी और प्रदूषण
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
गर्मी और प्रदूषण के जानवरों ने लोगों का जीवन बर्बाद कर दिया है। गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र में सबसे बड़े अवशेष हैं, जहां प्रदूषण का स्तर 270 AQI प्वाइंट के आसपास पहुंच गया है। यह स्थिति अत्यंत नामांकित है क्योंकि यह स्तर 'गंभीर' श्रेणी में आता है, जहां हवा इतनी ज़हरीली पाई जाती है कि स्वस्थ व्यक्ति भी बीमार पड़ सकता है।
जहरीली हवा
हर सांस के साथ वे अपने जीवन को मौत की ओर धकेल रहे हैं। हीट ने भी अपना विकराल रूप धारण कर लिया है। तेज धूप, तपते फ्लैट्स और चिलचिलाती जमीनों के बीच लोग बेब्स दिखाई दे रहे हैं। कहीं भी जल संकट तो नहीं, कहीं भी जल संकट नहीं। कुल समग्र स्थिति त्राहि-त्राहि जैसी है।
रोकथाम के प्रयास नही
सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस भीषण संकट के बीच जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग पूरी तरह से बेकार हैं। न तो प्रदूषण को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं, और न ही लोगों को राहत देने की कोशिश की जा रही है। जनता ने अपना हाल छोड़ दिया है। मास्क पहनना अब केवल कोरोना के लिए नहीं, बल्कि मास्क पहनने से बचना भी जरूरी हो गया है।
सांस संबंधी रोग
विशेषज्ञ का कहना है कि लगातार बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारण क्षेत्र में औद्योगिक, जलाना, निर्माण कार्य में गंदगी का उड़ना और प्रदूषण से आग लगना है। लेकिन समस्या के समाधान के लिए न तो कोई नियमित निरीक्षण हो रहा है और न ही कोई सख्त कार्रवाई। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि छोटे बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। प्रोजेक्ट में सांस संबंधी एलर्जी के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
भीषण गर्मी
गर्मी ने भी कमर तोड़ दी है। न्यूनतम 43 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच रहा है, जो सामान्य जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर चुका है। ओपन में काम करने वाले शैतान, रेहड़ी-पटरीज़ और बैकपैक के लिए यह सीज़न का जीव बन गया है। लू के थेपेडोस ने यहां मंदिर के दर्शनीय स्थल और नीचे दिए गए विवरण दिए हैं।
प्रदूषण नियंत्रण जरूरी
इस बात की जरूरत है कि युद्ध स्तर पर प्रदूषण और रोकथाम के लिए प्रशासन तत्काल सक्रिय हो। सड़क पर पानी का मिश्रण, निर्मित स्थानों को ढालने का निर्देश, बोल्ट को सख्त रोकथाम के उपाय और टुकड़ों की नियमित जांच जैसे कि ढालना लागू किया गया। साथ ही, गर्मी से बचाव के लिए शीतल जल की व्यवस्था, पेड़ लगाने का अभियान और शीतल स्थान पर सार्वजनिक स्थान बनाए रखें।
जागरूकता ज़रूरी
अगर अब भी हम नहीं जागे, तो यह प्रदूषण और गर्मी का खतरा हमारे जीवन का स्थायी हिस्सा बन जाएगा। अब समय आ गया है कि प्रशासन, नागरिक और समाज मिलकर इस संकट से लड़ने और वाली बस्ती के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण बनाएं।