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सूबे के मुख्य सचिव के कमिश्नरेट व्यवस्था वाले जिले में पुलिस कमिश्नर के आदेश को सार्वजनिक रूप से न सिर्फ खत्म करना बल्कि हिदायत देना गाजियाबाद के लिए शर्मनाक है। हालाकि इस पर शाम को आपसी गुटों में बंटे अफसर और जनप्रतिनिधि एकसाथ दिखे मगर, सवाल ये कि पहले ये सब हो जाता तो आज इस तरह की गाजियाबादियों की बेज्जती क्यों होती और क्यों हजारों पटरी वाले दुकानदार रोजी-रोटी के लिए सड़क पर होते और क्यों बीजेपी की सरकार में ही बीजेपी के विधायक को विरोध में नंगे पांव रहकर अन्न जल त्यागना पड़ता।
मुख्य सचिव के सार्वजनिक बयान के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री नरेंद्र कश्यप की मौजूदगी में गाजियाबाद के पुलिस-प्रशासनिक के अधिकारियों के साथ सांसद अतुल गर्ग, महापौर सुनीता दयाल ने बैठक की। बैठक में मंत्री नरेंद्र कश्यप ने नगर निगम को वेंडिंग जोन जल्द से जल्द तलाशने और साप्ताहिक बाजारों के लगने का स्थान तय करने की बात कही।
जिले के कैबिनेट मंत्री और साहिबाबाद के विधायक सुनील शर्मा यूपी में सबसे ज्यादा वोटों से जीत दर्ज करने वाले बीजेपी के विधायक हैं। बावजूद इसके अब तक इस मामले पर उनकी तरफ से किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं देना और किसी तरह की कवायद नहीं करना गाजियाबादियों में चर्चा का विषय बना है। सवाल उठाना लाजमी है कि कैबिनेट मंत्री आखिर इस मुद्दे पर अब तक चुप क्यों हैं ?
हालाकि देर आए, दुरुस्त आए वाली कहावत को ध्यान रखकर कहा जा सकता है कि भले ही कैबिनेट मंत्री ने कोशिश नहीं की। मगर मंत्री स्वतंत्र प्रभार को मुक्य सचिव के बयान के बाद स्थिति का एहसास हुआ और उन्होंने अहम के चलते मामले पर अलग-थलग पड़े जिले के अफसरों और जनप्रतिनिधियों को एक मंच पर लाने का प्रयास कर सामूहिक रणनीति शुरू कराई। लेकिन फिर भी जिले के तमाम विधायक इस बैठक में मौजूद नहीं थे।
मामले को लेकर नंगे पांव रहने और गले में माला नहीं डालने का संकल्प लेने वाले विधायक नंदकिशोर गूर्जर इस बैठक के दौरान जश्न मनाने में लगे थे जिस क्षेत्र में बैठक हो रही थी वहां के विधायक सहित मोदीनगर के विधायक भी बैठक में नहीं थे।
गाजियाबाद के विधायक संजीव शर्मा भी प्रयागराज के दर्शन कर लौट रहे थे। लिहाजा वो भी बैठक में नहीं थे।