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Nagar Nigam : पार्किंग शुल्क वसूली बनी आम नागरिकों की समस्या

शहर में यातायात अव्यवस्था का बड़ा कारण अब सड़कों पर अवैध रूप से वसूला जाने वाला पार्किंग शुल्क बन गया है। सामान्यतः किसी क्षेत्र में नगर निगम अथवा जीडीए द्वारा व्यवस्थित पार्किंग स्थल विकसित करने के बाद ही शुल्क वसूला जाना चाहिए, लेकिन गाजियाबाद में

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Syed Ali Mehndi
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नगर निगम की कथित पर्ची

गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

शहर में यातायात अव्यवस्था का बड़ा कारण अब सड़कों पर अवैध रूप से वसूला जाने वाला पार्किंग शुल्क बन गया है। सामान्यतः किसी क्षेत्र में नगर निगम अथवा जीडीए द्वारा व्यवस्थित पार्किंग स्थल विकसित करने के बाद ही शुल्क वसूला जाना चाहिए, लेकिन गाजियाबाद में इसका उल्टा हो रहा है। यहां पिछले कुछ समय से सीधे सड़कों पर खड़े वाहनों से ठेकेदारों के लोग पैसा वसूलते दिखाई देते हैं।

बढ़ता अतिक्रमण

विशेषज्ञों का मानना है कि शहर की सड़कों पर बढ़ते जाम की सबसे बड़ी वजह यही है कि सड़कों को ही पार्किंग स्थल में तब्दील कर दिया गया है। इसके साथ ही व्यापारियों द्वारा अपनी दुकानों के बाहर 50 प्रतिशत से अधिक सामान सड़क पर सजाना भी समस्या को और गहरा कर रहा है।तहसील क्षेत्र इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यहां नगर निगम द्वारा कोई स्थायी पार्किंग विकसित नहीं की गई है। बावजूद इसके ठेका पाने वाले कर्मचारी सीधे सड़क पर खड़े वाहनों से शुल्क वसूलते हैं। इसी तरह नेहरू नगर स्थित यशोदा अस्पताल के आसपास भी सर्विस रोड को ही पार्किंग स्टैंड बना दिया गया है। जबकि सर्विस रोड का मकसद स्थानीय लोगों और पैदल यात्रियों की सुविधा होता है।

पार्किंग में अवैध वसूली 

पुराने बस अड्डे से लेकर जीडीए द्वारा बनाए गए ओवरब्रिज के नीचे तक यही स्थिति देखने को मिल रही है। जहां निर्धारित पार्किंग स्थल का ठेका दिया गया है, वहीं ठेकेदार सड़क पर खड़े वाहनों से ही पैसा वसूल रहे हैं।बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों ने भी बार-बार शिकायत की है कि वहां की सड़कों पर वाहनों से पार्किंग शुल्क के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है। यह सिलसिला लंबे समय से जारी है और अब यह एक गंभीर मुद्दा बन चुका है।

बिना ठेके की पार्किंग

नगर निगम की ओर से सफाई दी जाती है कि यूपीसीडा (U.P. State Industrial Development Authority) के अंतर्गत आने वाले इलाकों में निगम द्वारा कोई पार्किंग ठेका छोड़ा ही नहीं गया है। लेकिन सवाल यह है कि यदि निगम ठेका नहीं देता, तो फिर सड़कों पर वसूली कौन और किस अधिकार से कर रहा है?यह समस्या सिर्फ आम नागरिकों के लिए ही नहीं बल्कि व्यापारियों और औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों के लिए भी सिरदर्द बन गई है। लोगों को न केवल अतिरिक्त पैसा देना पड़ता है बल्कि यातायात जाम और असुविधा भी झेलनी पड़ती है।गाजियाबाद में अवैध पार्किंग वसूली का मुद्दा अब प्रशासन और सरकार दोनों के लिए चुनौती बन चुका है। नागरिकों को उम्मीद है कि जल्द ही ठोस कदम उठाए जाएंगे ताकि सड़कों को राहत मिले और शहर की यातायात व्यवस्था सुधर सके।

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