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नगर निगम गाजियाबाद (फाइल फोटो)
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
नगर निगम द्वारा संपत्ति कर (गृहकर) में की गई बढ़ोतरी को लेकर शहर के कई इलाकों में विरोध तेज हो गया है। लोग इसे अचानक और मनमानी बढ़ोतरी बताते हुए आंदोलन की तैयारी में हैं। वहीं, निगम प्रशासन ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि कर में की गई वृद्धि पूरी तरह नियमों के अनुसार है और जनता को भ्रमित किया जा रहा है।
संपत्ति कर नियमावली 2013
मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव सिंह ने मीडिया के सामने आकर कहा कि संपत्ति कर में जो वृद्धि की गई है वह "नगर निगम संपत्ति कर नियमावली 2013" के तहत की गई है। उन्होंने बताया कि यह संशोधन 2022 में ही प्रारंभ कर दिया गया था, जब संपत्ति दरों के प्रस्ताव तैयार कर आम जनता से आपत्तियां मांगी गई थीं। उस समय कुल 318 आपत्तियां प्राप्त हुई थीं, जिनका निस्तारण तत्कालीन नगर आयुक्त द्वारा नियमानुसार किया गया।
भ्रामक सूचनाएं
डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि वर्तमान में जो कर दरें लागू की गई हैं, वह उस प्रक्रिया का ही परिणाम हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही यह बात कि मासिक किराया दरों में 300 प्रतिशत तक वृद्धि की गई है, पूरी तरह से भ्रामक और गलत है। वास्तविकता यह है कि क्षेत्रफल के अनुसार कर तय किया गया है, और कई जगह दो गुना तक वृद्धि की गई है, जो कि काफी समय से लंबित थी।
जनता के लिए हितकर
नगर निगम का तर्क है कि गृहकर की वर्तमान दरें शहर की बढ़ती जनसंख्या, इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरतों और सेवाओं की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। इसके अलावा, कर संग्रह से मिलने वाली राशि का उपयोग सड़कों, सीवरेज, जलापूर्ति और सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने में किया जाएगा।हालांकि, कई नागरिक संगठन इस तर्क से सहमत नहीं हैं और निगम से पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि पहले सुविधाएं दी जाएं फिर टैक्स बढ़ाया जाए। आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर निगम और जनता के बीच टकराव और तेज हो सकता है।