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Nagar Nigam : कार्बन क्रेडिट परियोजना में प्रदेश में पहला स्थान

पर्यावरण संरक्षण और स्थायी विकास की दिशा में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करते हुए गाजियाबाद नगर निगम उत्तर प्रदेश का पहला और देश का दूसरा नगर निगम बन गया है, जिसने वैश्विक मंच पर कार्बन क्रेडिट परियोजना को पंजीकृत किया है। यह उपलब्धि

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Syed Ali Mehndi
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फाइल फोटो

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

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पर्यावरण संरक्षण और स्थायी विकास की दिशा में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करते हुए गाजियाबाद नगर निगम उत्तर प्रदेश का पहला और देश का दूसरा नगर निगम बन गया है, जिसने वैश्विक मंच पर कार्बन क्रेडिट परियोजना को पंजीकृत किया है। यह उपलब्धि न केवल शहर के लिए गौरव की बात है बल्कि राज्य स्तर पर भी पर्यावरणीय जागरूकता और नवाचार का परिचायक है।

कल्याणकारी योजनाएं 

नगर निगम के इस प्रयास के पीछे नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक का कुशल नेतृत्व और टीम की सतत मेहनत है। निगम द्वारा शहर में पारंपरिक लाइटों को एलईडी लाइटों से बदला गया, जिससे ऊर्जा की बचत हुई। साथ ही ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करते हुए गीले कचरे से कंपोस्टिंग की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया गया। इन प्रयासों से अनुमानतः 2.7 लाख टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आने की संभावना है। गौरतलब है कि 1 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की कमी को 1 कार्बन क्रेडिट माना जाता है।

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राजस्व का नया स्त्रोत

अब यह प्रमाणित कार्बन क्रेडिट अंतरराष्ट्रीय कार्बन बाजार में बेचे जा सकेंगे, जिससे न केवल पर्यावरणीय दायित्व को मजबूती मिलेगी बल्कि गाजियाबाद नगर निगम को एक नया राजस्व स्रोत भी प्राप्त होगा। इस परियोजना को संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) द्वारा समर्थित सत्यापित मानक वीसीएस (VCS) कार्यक्रम के तहत जून 2025 में पूर्ण सत्यापन और पंजीकरण प्राप्त हुआ है।यह पंजीकरण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संस्था वेरा रजिस्ट्री में किया गया, जिसमें कठोर मूल्यांकन प्रक्रिया शामिल होती है। नगर आयुक्त ने जानकारी दी कि भविष्य की योजनाओं में भी कार्बन क्रेडिट की संभावनाओं को ध्यान में रखकर कार्य किया जाएगा।

जन भागीदारी आवश्यक

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महापौर सुनीता दयाल ने इस उपलब्धि पर शहरवासियों को बधाई दी और नगर निगम द्वारा पर्यावरण संरक्षण में किए जा रहे प्रयासों में जनभागीदारी की अपील की। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करके निगम के अधिकृत वाहनों में डालें ताकि कंपोस्टिंग की प्रक्रिया को मजबूती मिल सके।इस ऐतिहासिक उपलब्धि से गाजियाबाद न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अग्रणी बना है, बल्कि प्रदेश के अन्य नगर निकायों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत साबित हुआ है।

 

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