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व्यापारियों ने ज्ञापन सौपा
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
नगर निगम द्वारा संपत्ति कर में अचानक 3 से 5 गुना तक की वृद्धि किए जाने के विरोध में महानगर उद्योग व्यापार मंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार में विधायक दिनेश गोयल (एम.एल.सी.) को एक ज्ञापन सौंपा। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अध्यक्ष श्री गोपीचंद प्रधान और महामंत्री अशोक चावला ने किया। उन्होंने नगर निगम की कार्यप्रणाली को नियमों के विरुद्ध और जनविरोधी बताते हुए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। ज्ञापन में प्रमुख रूप से कहा गया कि नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 174(ख) के अनुसार संपत्ति कर में केवल दो वर्ष में एक बार और सीमित वृद्धि की ही अनुमति है। फिर भी वर्ष 2023-24 में पहले ही 10% की वृद्धि की जा चुकी है, जो मार्च 2025 तक लागू है। इसके बावजूद अब पुनः भारी वृद्धि कर नागरिकों को जबरन नोटिस भेजे जा रहे हैं, जो पूर्णतः नियमविरुद्ध और अन्यायपूर्ण है।
टैक्स वृद्धि वापस हो
व्यापार मंडल ने यह भी बताया कि कुछ क्षेत्रों में तो व्यवसायिक कर 10 गुना तक बढ़ा दिया गया है, जिससे आम जनता में गहरा रोष व्याप्त है। इतना ही नहीं, निगम जिन संपत्तियों के किराये निर्धारित नहीं कर सका, जैसे रामतेराम रोड शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और नेहरू नगर ऑडिटोरियम, उन पर सर्किल रेट लागू करने में विफल रहा है, तो आम नागरिकों पर उसी आधार पर कर लादना अनुचित है। व्यापार मंडल का कहना है कि डीएम सर्किल रेट को आधार मानकर कर बढ़ाना न केवल नियमों के विपरीत है, बल्कि इससे गाजियाबाद के नागरिकों पर आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा। उन्होंने मांग की कि संपत्ति कर में वृद्धि का कोई भी प्रस्ताव केवल नगर निगम की सदन में स्वीकृति लेकर, उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए ही लाया जाए।
जारी है संघर्ष
व्यापार मंडल ने अंत में मांग की कि जब तक नियमों के अनुरूप उचित और न्यायसंगत कर निर्धारण न किया जाए, तब तक वर्तमान कर ही लागू रखा जाए। इस अवसर पर चेयरमैन बृजमोहन सिंगल, कोषाध्यक्ष नरेश अग्रवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजदेव त्यागी, युवा जिला महामंत्री डॉ. रघुराज, वसीम अली सहित शहर के विभिन्न व्यापार मंडलों के पदाधिकारी उपस्थित रहे। ज्ञापन के माध्यम से जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया गया कि वे इस मामले को गंभीरता से लेकर जनहित में आवश्यक कार्यवाही करें, जिससे जनता को राहत मिल सके और नगर निगम की कार्यप्रणाली पर निगरानी सुनिश्चित की जा सके।