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फाइल फोटो
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
पूर्व पार्षद जाकिर सैफी ने नगर निगम पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि बरसात से पहले हर साल चलने वाला सफाई अभियान सिर्फ फाइलों में होता है और हकीकत में शहर जलभराव से जूझता रहता है। उन्होंने निगम अधिकारियों के उस बयान को “भ्रामक और गैर‑जिम्मेदाराना” बताया, जिसमें कहा गया था कि अतिक्रमण के कारण नाले साफ नहीं हो पा रहे।
नगर निगम विफल
सैफी ने प्रेस बयान में कहा, “यदि अतिक्रमण वर्षों से वहीं है तो यह प्रशासनिक विफलता है। हटाना भी निगम की जिम्मेदारी है।” उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी एक तरफ “क्लीन गाजियाबाद” के दावे करते हैं और दूसरी तरफ नालियां कचरे से पटे होने का रोना रोते हैं। पूर्व पार्षद ने सुझाव दिया कि प्रत्येक वार्ड में सामुदायिक निगरानी समिति बनाई जाए, जिसमें स्थानीय निवासी, RWA तथा पार्षद शामिल हों। “ठेकेदार अगर आधा काम करके भुगतान ले जाए, तो समिति सबूत सहित रिपोर्ट करे,” उन्होंने कहा। उन्होंने स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत ड्रेनेज मैनेजमेंट को तत्काल प्राथमिकता देने की मांग की।
सफाई अभियान जारी
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश ने प्रतिक्रिया में बताया कि 65 किमी नाले‑नालियों में से 42 किमी की मशीन से सफाई हो चुकी है। “जहां अतिक्रमण है, वहां संयुक्त टीम चलाकर हटवाया जा रहा है,” उन्होंने दावा किया। पर स्थानीय लोगों का कहना है कि कई मुख्य नाले—खोड़ा, विजयनगर और पुराना बस अड्डा—अब भी कचरे से अटे हैं। सैफी ने चेतावनी दी कि यदि 15 जुलाई तक प्रमुख नालों की सफाई नहीं हुई तो वे नागरिकों के साथ महापौर कार्यालय पर धरना देंगे। पर्यावरणविदों ने उनका समर्थन करते हुए कहा कि जलभराव से डेंगू और मलेरिया का खतरा बढ़ेगा। फिलहाल मानसून दस्तक दे चुका है; देखने वाली बात यह है कि निगम सैफी की आलोचना को चेतावनी मानकर काम तेज करता है या फिर परंपरागत “बरसात आई, हम तैयार थे” वाला बयान जारी करता है।