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सुनवाई करते नगर आयुक्त
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
नगर निगम मुख्यालय में आयोजित संभव जनसुनवाई में नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने नागरिकों की समस्याओं को गंभीरता से सुना और संबंधित विभागीय अधिकारियों को मौके पर ही स्पष्ट निर्देश दिए कि किसी भी शिकायत के निस्तारण में लापरवाही या टालमटोल की प्रवृत्ति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस जनसुनवाई में कुल 25 शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें सर्वाधिक शिकायतें सिविल विभाग से संबंधित रहीं।
धरातल पर असर ज़रूरी
नगर आयुक्त ने कहा कि निगम का उद्देश्य केवल कागजों में कार्रवाई दिखाना नहीं है, बल्कि धरातल पर उसका असर जनता तक पहुँचना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हर शिकायत का निस्तारण होने के बाद शिकायतकर्ता से फीडबैक अवश्य लिया जाए। फीडबैक से ही यह स्पष्ट होगा कि वास्तव में समस्या का समाधान हुआ है या नहीं। यदि शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं है, तो इसका अर्थ है कि निस्तारण अधूरा है।जनसुनवाई के दौरान सिविल विभाग से संबंधित 12, स्वास्थ्य विभाग की 3, बिजली (लाइट) विभाग की 2, संपत्ति से जुड़ी 1, जल विभाग की 1 तथा अतिक्रमण से जुड़ी 3 शिकायतें प्राप्त हुईं। इन शिकायतों में सड़क, नालों की सफाई, जलभराव, स्ट्रीट लाइट, कूड़ा उठान, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, अवैध कब्जों और संपत्ति कर विवाद जैसे मुद्दे प्रमुख रहे। नगर आयुक्त ने प्रत्येक विभागीय अधिकारी को निर्देशित किया कि इन सभी शिकायतों का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित किया जाए, ताकि जनता को शीघ्र राहत मिल सके।
शिकायतों का निस्तारण आवश्यक
श्री मलिक ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हर शिकायत के पीछे केवल एक कागज़ी प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक आम नागरिक की परेशानी और उम्मीद जुड़ी होती है। ऐसे में अधिकारियों का यह दायित्व है कि वे जिम्मेदारी के साथ समाधान सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जब तक जनता को यह महसूस नहीं होगा कि उनकी समस्या का वास्तविक समाधान हुआ है, तब तक निगम की छवि सकारात्मक रूप से स्थापित नहीं हो सकती।बैठक के दौरान नगर आयुक्त ने स्वास्थ्य विभाग को कचरा निस्तारण और स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। बिजली विभाग से संबंधित समस्याओं पर उन्होंने कहा कि अंधेरे वाले क्षेत्रों में स्ट्रीट लाइटें शीघ्र दुरुस्त की जाएं। वहीं, जल विभाग को निर्देश दिया गया कि पानी की सप्लाई से जुड़ी समस्याओं का स्थायी समाधान किया जाए। अतिक्रमण संबंधी शिकायतों पर उन्होंने टीम को तत्काल कार्रवाई कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।
लापरवाही बर्दाश्त नहीं
उन्होंने यह भी कहा कि निगम जनता से सीधे संवाद बनाए रखने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। जनसुनवाई का उद्देश्य ही यही है कि नागरिकों को अपनी समस्या रखने का मंच मिले और अधिकारियों को जनता की वास्तविक दिक्कतों का पता चल सके।जनसुनवाई के अंत में नगर आयुक्त ने अधिकारियों को चेतावनी दी कि शिकायतों को हल्के में लेना या कार्रवाई में देरी करना सीधे-सीधे लापरवाही की श्रेणी में आएगा। ऐसी स्थिति में जिम्मेदार अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने भरोसा दिलाया कि नगर निगम जनता की समस्याओं के समाधान के लिए पूरी तरह संवेदनशील है और हर संभव प्रयास करेगा कि नागरिकों को बेहतर बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा सकें। उनका कहना था कि “निगम की साख तभी बढ़ेगी जब लोग खुद अनुभव करेंगे कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से लिया जा रहा है और समय पर उनका समाधान हो रहा है।”