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जुम्मे की नमाज सूनी मस्जिद
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जुम्मे की नमाज सूनी मस्जिद
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
जिले के थाना मसूरी क्षेत्र अंतर्गत आने वाले नाहल गांव में इस बार जुम्मे की नमाज के समय जो दृश्य सामने आया, उसने पूरे इलाके में चिंता और चर्चा का माहौल पैदा कर दिया है। आमतौर पर जुम्मे की नमाज में बड़ी संख्या में नमाज़ी मस्जिद में एकत्र होते हैं, लेकिन इस शुक्रवार को मस्जिद लगभग सूनी रही। नमाज़ी नदारद थे और मस्जिद में सन्नाटा पसरा हुआ था।
इस संबंध में मस्जिद के पेश इमाम मोहम्मद अयूब निजामी ने बताया कि जुम्मे की नमाज अपने निर्धारित समय पर अदा की गई। उन्होंने कहा कि हमारा काम नमाज अदा कराना है, लोग आएं या न आएं, यह उनके विवेक और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि हम अपने फर्ज को निभा रहे हैं, चाहे कोई एक आए या सौ।
यह घटना केवल धार्मिक पहलू से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी विचारणीय है। दरअसल, नाहल गांव में हाल ही में एक सिपाही की गोली लगने से मृत्यु हो गई थी। इस घटना के बाद पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई के चलते गांव के अधिकतर पुरुषों ने गांव छोड़ दिया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, गांव के अधिकांश घरों में ताले लटके हैं और पूरा इलाका लगभग वीरान नजर आ रहा है।
गांव में नमाज़ में नमाज़ियों का न पहुंचना यह दर्शाता है कि ग्रामीणों में डर और असुरक्षा की भावना व्याप्त है। यह बात स्पष्ट रूप से इंगित करती है कि गांव में हालात सामान्य नहीं हैं। एक ओर जहां पुलिस अपने स्तर पर कानून व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय जनता स्वयं को असहाय और भयभीत महसूस कर रही है।
इस प्रकार की स्थिति समाज में अविश्वास और तनाव को जन्म देती है। प्रशासन का यह कर्तव्य है कि वह दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, लेकिन साथ ही यह भी सुनिश्चित करे कि निर्दोष लोगों को अनावश्यक रूप से प्रताड़ित न किया जाए। पलायन करना किसी भी समाज के लिए शुभ संकेत नहीं होता। यह न केवल लोगों के जीवन पर असर डालता है, बल्कि सामाजिक ढांचे को भी प्रभावित करता है।
जरूरत इस बात की है कि प्रशासन, स्थानीय नेताओं और समुदाय के प्रमुख लोग मिलकर संवाद स्थापित करें और एक समाधान की ओर अग्रसर हों। केवल पुलिस कार्रवाई से समस्या का हल नहीं निकल सकता, बल्कि सामाजिक समरसता, विश्वास और न्यायपूर्ण व्यवहार ही दीर्घकालिक समाधान का रास्ता है।
नाहल गांव की यह घटना एक चेतावनी है कि यदि समय रहते परिस्थितियों को नहीं संभाला गया, तो यह अन्य क्षेत्रों के लिए भी एक उदाहरण बन सकती है। आवश्यकता इस बात की है कि समाज और शासन दोनों मिलकर ऐसे हालात से उबरने का प्रयास करें और सामान्य जीवन की ओर वापसी संभव हो।