Namo Bharat: गाजियाबाद नमो भारत स्टेशन पर जल्द खुलेंगे को-वर्किंग स्पेस
हालांकि, को-वर्किंग स्पेस का प्रचलन वर्षों से रहा है, लेकिन कोविड-महामारी के बाद इनकी मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। एक कुशमैन एंड वेकफील्ड रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष देश
नमो भारत के जरिए यात्रियों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी और सुविधा प्रदान करना एनसीआरटीसी की प्राथमिकता रही है और इसी दिशा में कई पहलें भी की गई हैं। इसी क्रम में एक और कदम बढ़ाते हुए, एनसीआरटीसी अब गाजियाबाद नमो भारत स्टेशन पर को-वर्किंग स्पेस ‘मेट्रोडेस्क’ खोलने की योजना बना रहा है। यह पहल शहरी ट्रांजिट स्पेस को व्यवसायिक हब में बदलने की दिशा में एक नया कदम है, जो नमो भारत नेटवर्क के अंतर्गत अपनी तरह का पहला को-वर्किंग मॉडल होगा। यह अत्याधुनिक कार्यक्षेत्र गाजियाबाद और आसपास के पेशेवरों, उद्यमियों और छोटे व्यवसायों के लिए उपयुक्त रूप से डिजाइन किया गया है।
वर्किंग स्पेस
Advertisment
शानदार को- वर्किंग स्पेस
स्टेशन के कॉनकोर्स लेवल पर स्थित इस को-वर्किंग स्पेस में 42 ओपन वर्कस्टेशन, 11 निजी केबिन और 2 मीटिंग रूम होंगे, जिसमें एक समय में लगभग 42 व्यक्ति और 11 कंपनियां कार्य कर सकेंगी। इस सेटअप में हाई-स्पीड इंटरनेट और प्लग-एंड-प्ले वर्कस्टेशन जैसी सुविधाएं होंगी, जो निर्बाध उत्पादकता और सुविधा सुनिश्चित करेंगी। स्टेशन के अंदर स्थित होने के कारण यह पेशेवरों के यात्रा समय को कम करेगा और उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाएगा.
रैपिड ट्रेन स्टेशन
Advertisment
शानदार लोकेशन
गाजियाबाद नमो भारत स्टेशन की व्यस्ततम लोकेशन इसे पेशेवरों के लिए एक आदर्श स्थान बनाती है। गाजियाबाद-मेरठ मार्ग पर स्थित यह स्टेशन, विशेष रूप से मेरठ तिराहा मोड़ और दिल्ली मेट्रो के शहीद स्थल नया बस अड्डा स्टेशन के पास होने के कारण भारी संख्या में यात्रियों को आकर्षित करता है।
Advertisment
आधुनिक तकनीक
इस को-वर्किंग स्पेस को आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित किया जाएगा ताकि कार्य अनुभव अधिक कुशल और उत्पादक हो सके। यहाँ बायोमेट्रिक एंट्री और डिजिटल की-कार्ड्स के माध्यम से स्मार्ट एक्सेस सुनिश्चित किया जाएगा, जबकि एक समर्पित प्लेटफॉर्म के जरिए आरक्षण, मेंबरशिप प्रबंधन और कैशलेस लेनदेन को सहज बनाया जाएगा।
उच्चतम तकनीक
इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स सेवाएं
ये कार्यस्थल इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) सेवाओं के साथ उपलब्ध होंगे, जिससे स्मार्ट लाइटिंग, जलवायु नियंत्रण और मीटिंग रूम की स्वचालित बुकिंग संभव होगी। इसके अलावा, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सेटअप, वायरलेस स्क्रीन शेयरिंग और तकनीकी रूप से उन्नत विचार-विमर्श क्षेत्र भी उपलब्ध होंगे। विश्वसनीय फाइबर-ऑप्टिक कनेक्टिविटी निर्बाध कार्य और वर्चुअल मीटिंग्स सुनिश्चित करेगी। इसके साथ ही यहां हॉट डेस्क, वेंडिंग मशीन और फीडबैक संग्रह के लिए क्यूआर-आधारित स्कैन-एंड-यूज़ विकल्प भी उपलब्ध होंगे।
किफायती विकल्प
को-वर्किंग स्पेस पारंपरिक कार्यालयों की तुलना में एक किफायती विकल्प हैं। ये ऐसे कार्यस्थल होते हैं जहां किसी भी क्षेत्र या कंपनी के पेशेवर एक साझा कार्यस्थल में अपने अनुसार स्थान किराए पर लेकर व्यक्तिगत या समूह में काम कर सकते हैं। यह लागत प्रभावी मॉडल स्टार्टअप्स, छोटे व्यवसायों और रिमोट प्रोफेशनल्स के लिए लाभदायक होगा, जिससे वे महंगे कमर्शियल स्पेस किराए पर लेने की बजाय एक पेशेवर माहौल में काम कर सकेंगे। इसके अलावा, यह नेटवर्किंग और सहयोग को बढ़ावा देने वाला एक प्लेटफॉर्म भी होगा।
को-वर्किंग स्पेस का चलन
हालांकि, को-वर्किंग स्पेस का प्रचलन वर्षों से रहा है, लेकिन कोविड-महामारी के बाद इनकी मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। एक कुशमैन एंड वेकफील्ड रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष देश के प्रमुख शहरों में को-वर्किंग ऑपरेटर्स ने 2.24 लाख सीटें लीं, जिनमें से 38,000 सीटें दिल्ली-एनसीआर में थीं। मोर्डर इंटेलिजेंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का को-वर्किंग बाजार 2025 में 2.08 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2030 तक 2.91 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। इसकी वृद्धि का श्रेय लचीलापन, लागत प्रभावशीलता, तकनीकी एकीकरण, उच्च स्तरीय बुनियादी ढांचे, उत्पादकता और नेटवर्किंग के अवसरों को दिया जा सकता है। दिल्ली-एनसीआर में नेहरू प्लेस, कनॉट प्लेस, नोएडा और गुड़गांव जैसे व्यावसायिक केंद्र इन कार्यस्थलों के लिए प्रमुख हब बने हुए हैं।
वाणिज्यिक विस्तार
एनसीआरटीसी न केवल यात्रियों की सुविधाओं को बढ़ाने बल्कि गैर-किराया राजस्व उत्पन्न करने के लिए भी नमो भारत स्टेशनों के भीतर और आसपास वाणिज्यिक स्थानों को विकसित कर रहा है। यह पहल स्टेशनों को केवल एक ट्रांजिट हब से आगे बढ़ाकर बिजनेस हब में बदल देगी, जिससे आर्थिक अवसर सृजित होंगे और नमो भारत कॉरिडोर को आधुनिक शहरी परिवहन का एक आदर्श मॉडल बनाया जा सकेगा।
वर्तमान में, नमो भारत ट्रेन न्यू अशोक नगर दिल्ली से मेरठ साउथ तक 55 किमी के खंड पर 11 स्टेशनों के साथ परिचालित हो रही है। सम्पूर्ण 82 किमी लंबा दिल्ली-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर, जिसमें मेरठ मेट्रो भी शामिल है, 2025 तक पूर्ण रूप से परिचालित होने की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है।
Advertisment
हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें!
विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें