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Negligence: एंबुलेंसों की भरमार, फिर भी ठेले पर ढोई जाती हैं लावारिस लाश

लापरवाही और बेपरवाही का इससे बड़ा प्रमाण और क्या होगा कि पूर्व स्वास्थ्य राज्यमंत्री के जिले में एंबुलेंसों की भरमार होने के बावजूद लावारिस लाशों को ठेले पर ढोया जा रहा है।

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Sunil Kumar
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लावारिश शव
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गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता।

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जिस जिले के वर्तमान सांसद अतुल गर्ग योगी सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री रहे हों, वहां स्वास्थ्य विभाग की लापरवाहियों का आलम ये है कि लावारिस शवों को ढोने के लिए एंबुलेंस तक मुहैया नहीं हो पाती। पोस्टमार्टम हाउस में काम करने वाले कर्मचारियों को जिले में मिलने वाली लावारिस लाशों को ठेले से ढोकर लाना-ले जाना पड़ता है। ये हालात तब हैं जबकि जिले में सरकारी विभाग के पास एंबुलेंसों की भरमार है। लेकिन उनका इस्तेमाल आपात स्थिति में या फिर अधिकतर वीआईपी ड्यूटियों के लिए किया जाता है।

अरसे से है यही हाल 

स्वास्थ्य विभाग व्यवस्थाओं को चुस्त-दुरूस्त करने के बड़े-बड़े दावे तो करना है। मगर, इस तरह की तस्वीरें उनके दावों की हकीकत को गाहे-ब-गाहे बयान करती रहती हैं। तस्वीर में जो दो लोग ठेले पर लाश ले जाते दिख रहे हैं, वो दोनों ही जिला स्वास्थ्य विभाग के पोस्टमार्टम हॉउस पर कार्यरत हैं। तस्वीर भी पोस्टमार्टम हाउस से शमशान घाट रोड की है। ठेले पर जो लाश है वो एक लावारिस शख्स की है। लावारिस लाशों के लिए एंबुलेंस मुहैया नहीं कराए जाने की वजह से दशकों से ये कर्मचारी ठेले पर ही लावरिस लाशों को ढोकर पोस्इटमार्सटम के लिए लाते हैं। और 72 घंटे रखने के बाद पहचान नहीं होने की सूरत में पोस्टमार्टम हाउस से हिंडन शमशान घाट तक अंतिम संस्कार के लिए इसी तरह ठेले पर खींचकर ले जाते हैं। जाहिर है कि विभाग लावारिस शवों को एम्बुलेंस भी नसीब नही करा पा रहा।

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लाशों को लेकर भी वीआईपी व्यवस्था

सरकारी कार्यालयों में कामकाज में वीआईपी कल्चर यानि रसूखदारों को तवज्जों कोई नई बात नहीं है। मगर, स्वास्थ्य विभाग में लाशों को लेकर भी दशकों से चल रहा ये कल्चर ये बताने को काफी है कि जिनका कोई वजूद नहीं उनकी लाशों को भी कोई तवज्जो नहीं मिलती।  ठेले पर लाश ले जाने की तस्वीर मानवता को शर्मसार कर रही है। तस्वीर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के बंदोबस्त पर सवालिया निशान खड़े कर रही है। मगर, इस पर बोलने या इस व्यवस्था में सुधार करने की जेहमत अरसे से कोई नहीं कर रहा।

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