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ऑक्सीजन प्लांट टैंक
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एवं जी ने स्थापित 10 हज़ार लीटर क्षमता का लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंक 1 साल बाद उपयोग में नहीं आ सका। वर्ष 2022 में कोरोना की दूसरी लहर के बाद अस्पताल में ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए 58 लाख की लागत से यह टैंक लगाया गया था लेकिन ऑक्सीजन खरीदने के लिए बजट की व्यवस्था नहीं हो सकी।
प्लांट का उद्देश्य
इस प्लांट को लगाने का उद्देश्य बिना बिजली और जनरेटर के ही ऑक्सीजन की आपूर्ति करना है प्रशासनिक उदासीनता के चलते अब तक इसमें ऑक्सीजन गैस नहीं भरी गई है अस्पताल प्रबंधन ने आईएमओ टैंक के संचालन के लिए एक निजी कंपनी से कर दिया था कंपनी ने टंकी आपूर्ति और तकनीकी व्यवस्था पूरी करती थी लेकिन समय पर बजट नहीं मिलने के कारण आपूर्ति शुरू नहीं हो सकती कंपनी कई बार पत्राचार कर चुकी है लेकिन भुगतान न होने कारण ऑक्सीजन की सप्लाई देने को तैयार नहीं है।
अधिकारी कहिन
इस संबंध में सीएमएस डॉक्टर राकेश कुमार का कहना है कि मामला शासन स्तर पर विचार अधीन है सीएमएस का कहना है कि ऑक्सीजन खरीदने के लिए बजट उपलब्ध कराने के लिए रिमाइंडर भी भेज दिया गया है जल्दी बजट मिल सकता है।
1 साल पहले हुई स्थापना
एमएमजी अस्पताल में एक साल पहले ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया था, लेकिन अभी तक मरीजों को प्लांट से ऑक्सीजन नहीं मिल रही है, जो कि चिंता का विषय है.
तकनीकी समस्याएँ:
प्लांट की स्थापना के बाद, कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण ऑक्सीजन उत्पादन शुरू नहीं हो पाया होगा.
प्रशिक्षण की कमी:
प्लांट को संचालित करने के लिए आवश्यक कर्मचारियों को पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं मिल पाया होगा.
नियमों और विनियमों का पालन:
ऑक्सीजन प्लांट के संचालन के लिए आवश्यक नियमों और विनियमों का पालन नहीं किया गया होगा.
प्रशासनिक ढिलाई:
प्लांट को चालू करने के लिए आवश्यक प्रशासनिक प्रक्रियाओं में देरी हुई होगी.
तकनीकी समस्याओं का समाधान:
प्लांट में मौजूद किसी भी तकनीकी समस्या का तुरंत समाधान किया जाना चाहिए.
कर्मचारियों को प्रशिक्षण:
प्लांट को संचालित करने के लिए आवश्यक कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए.
नियमों और विनियमों का पालन:
ऑक्सीजन प्लांट के संचालन के लिए आवश्यक नियमों और विनियमों का पालन किया जाना चाहिए.
प्रशासनिक ढिलाई को दूर करें:
प्लांट को चालू करने के लिए आवश्यक प्रशासनिक प्रक्रियाओं में तेजी लानी चाहिए.
मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट:
मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट हवा से ऑक्सीजन को अलग करके उसे शुद्ध करते हैं, जिससे मरीजों को सांस लेने में मदद मिलती है.
ऑक्सीजन प्लांट की लागत:
एक मध्यम स्तर के ऑक्सीजन प्लांट की लागत लगभग 1.25 करोड़ रुपये तक हो सकती है, जबकि बड़े प्लांट की लागत 5 करोड़ रुपये से शुरू होकर 50 करोड़ रुपये तक जा सकती है.
ऑक्सीजन थेरेपी:
ऑक्सीजन थेरेपी का उपयोग सांस लेने में समस्या वाले लोगों को ऑक्सीजन की कमी से निपटने में मदद करने के लिए किया जाता है.
हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी:
हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी (HBOT) एक अलग तरह की ऑक्सीजन थेरेपी है, जिसमें दबाव वाले कक्ष या ट्यूब में ऑक्सीजन को सांस के ज़रिए अंदर लिया जाता है.