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Negligency : वाह रे जिला प्रशासन, जिंदा व्यक्ति की ही मौत की जांच का दे दिया आदेश

कौशांबी स्थित यशोदा हॉस्पिटल में उज्जवल चौधरी की मौत के मामले में मृतक के भाई अर्पित चौधरी का बयान सामने आया है जिन्होंने एक पत्र उपलब्ध कराया है, पत्र में अर्पित चौधरी की मौत की जांच का आदेश दिया गया है इस संबंध में अर्पित चौधरी

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Syed Ali Mehndi
जिला प्रशासन का आदेश पत्र

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

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कौशांबी स्थित यशोदा हॉस्पिटल में उज्जवल चौधरी की मौत के मामले में मृतक के भाई अर्पित चौधरी का बयान सामने आया है जिन्होंने एक पत्र उपलब्ध कराया है, पत्र में अर्पित चौधरी की मौत की जांच का आदेश दिया गया है इस संबंध में अर्पित चौधरी का कहना है कि जिला प्रशासन की गंभीर लापरवाही सामने आई है। यह मामला न सिर्फ चिकित्सा प्रणाली की संवेदनहीनता को उजागर करता है, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता की भी बड़ी मिसाल बन गया है। इस घटना में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि जांच के लिए गठित कमेटी के संबंध में जारी किए गए आधिकारिक पत्र में मृतक का नाम गलत दर्ज कर दिया गया है।

 उज्जवल की मौत का मामला

दरअसल, 11 जून 2025 को जिला प्रशासन की ओर से एक आदेश जारी किया गया, जिसमें यशोदा हॉस्पिटल में उज्जवल चौधरी की मौत की जांच के लिए कमेटी गठित की गई। आदेश पत्र में विवेक मिश्रा, अपर जिलाधिकारी को जांच समिति का अध्यक्ष और डॉ. संजय गुप्ता, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ), डॉ. अमित विक्रम, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी तथा डॉ. राकेश कुमार गुप्ता, उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी को सदस्य नामित किया गया है।

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घोर लापरवाही 

लेकिन हैरत की बात यह है कि इस आदेश पत्र में मृतक का नाम उज्जवल चौधरी की बजाय उनके जीवित भाई अर्पित चौधरी लिखा गया है। अर्पित इस समय अपने भाई की मौत के लिए न्याय की मांग कर रहा है और प्रशासन के इस लापरवाह रवैये से स्तब्ध है। इस गलती से न केवल परिवार की पीड़ा और बढ़ी है, बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

 गंभीर आरोप 

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परिवार का आरोप है कि यह लापरवाही प्रशासन की संवेदनशीलता की कमी और लचर प्रक्रिया का उदाहरण है। अर्पित चौधरी ने बताया कि उनका परिवार पहले से ही गहरे सदमे में है और अब इस तरह की गलती ने उनकी उम्मीदों को और भी चोट पहुंचाई है। उनका कहना है कि जब जांच के आदेश में ही इस प्रकार की गलती हो सकती है, तो निष्पक्ष जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है?

 सुधार की आवश्यकता

यह मामला प्रशासनिक तंत्र में सुधार की आवश्यकता को दर्शाता है, विशेषकर ऐसे संवेदनशील मामलों में जहां किसी की जान गई हो। परिवार और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस गलती को तुरंत सुधारने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस लापरवाही पर क्या संज्ञान लेता है और जांच प्रक्रिया को कैसे निष्पक्ष बनाता है।

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