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नेहरू: वह ‘प्रमथ्यु’ जिसकी विरासत को हम नोच रहे हैं – डॉ. संजीव शर्मा

Ghaziabad: डॉ. संजीव शर्मा ने उन्हें यूनानी देवता प्रमथ्यु से जोड़ा है — वह जिसने इंसान के लिए स्वर्ग से ‘आग’ चुराई और बदले में पीड़ा पाई। नेहरू ने भी हमें विकास, विज्ञान, लोकतंत्र और आत्मनिर्भरता की ‘आग’ दी, और आज हम उसी विरासत को भुला बैठे हैं।

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Deepak Sharma
नेहरू: वह ‘प्रमथ्यु’ जिसकी विरासत को हम नोच रहे हैं – डॉ. संजीव
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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता। पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर कांग्रेस नेता व प्रख्यात वक्ता डॉ. संजीव शर्मा ने उन्हें यूनानी मिथक ‘प्रमथ्यु’ के प्रतीक के रूप में याद करते हुए एक भावनात्मक और तीखे लेख के माध्यम से वर्तमान पीढ़ी को झकझोरने की कोशिश की है।

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डॉ. शर्मा ने कहा कि “जब-जब नेहरू का जिक्र आता है, मुझे यूनान के देवता प्रोमीथियस की कथा याद आती है, जिसने स्वर्ग से आग चुराकर धरती को दी, और बदले में क्रूर यातना झेली।”

उन्होंने बताया कि किस तरह नेहरू, जो अंग्रेजी राज में ऐशो-आराम से जी सकते थे, आज़ादी की लड़ाई में कूद पड़े। जलियांवाला बाग कांड की रिपोर्ट बनाना हो, गांधी के साथ तिलक की अंतिम यात्रा में जाना हो या भगत सिंह से जेल में मिलना—नेहरू हर मोर्चे पर एक सच्चे क्रांतिकारी की तरह खड़े नजर आते हैं।

नेहरू: राजनीति नहीं, तपस्वी का जीवन

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डॉ. शर्मा ने नेहरू के व्यक्तिगत जीवन की वेदना का भी उल्लेख किया—पत्नी कमला नेहरू की असमय मृत्यु, उनकी अस्थियों की राख को जीवन भर साथ रखना, और गांधी के अंतिम उपवास में स्वयं उपवास रखना, इस बात का संकेत हैं कि वह केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक भावनात्मक तपस्वी थे।

'प्रमथ्यु' की तरह लाए थे ‘आग’

नेहरू के योगदानों को ‘स्वर्ग की आग’ की उपमा देते हुए, डॉ. शर्मा ने कहा “जब तक वे देश के लिए काम कर रहे थे, वे लाड़ले थे। उनके जाने के बाद हमने उन्हें सलीब पर टांग दिया और अब गिद्ध की तरह नोच रहे हैं।”

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उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आज नेहरू की आलोचना एक चलन बन चुकी है, और नई पीढ़ी यह तक भूल गई है कि उन्हें सजा किस बात की दी जा रही है।

वैश्विक नेता, शांति का अग्रदूत

डॉ. शर्मा ने नेहरू के वैश्विक योगदानों को भी रेखांकित किया। कोरिया युद्ध में शांति की मध्यस्थता से लेकर गुटनिरपेक्ष आंदोलन तक, उन्होंने दुनिया को यह दिखाया कि भारत केवल एक नया राष्ट्र नहीं, बल्कि एक नई सोच है।

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डॉ. संजीव शर्मा का संदेश

“नेहरू की पुण्यतिथि पर हमें यह याद रखना होगा कि वह एक ऐसे योद्धा थे जिन्होंने अपने समय की सभी सीमाओं को लांघते हुए हमें आधुनिक भारत का सपना दिया। आज हम जिस लोकतंत्र, वैज्ञानिक सोच और वैश्विक सम्मान का आनंद ले रहे हैं, उसकी बुनियाद उस ‘आग’ में छुपी है, जो नेहरू हमें देकर गए।”

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