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जिलाधिकारी गाजियाबाद
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
जिले में जनसुनवाई प्रणाली (आईजीआरएस) पर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। सितंबर 2025 के दौरान आईजीआरएस पोर्टल पर 35 विभागों और कार्यालयों के अधिकारियों का संतुष्ट फीडबैक प्रतिशत शून्य पाया गया। इस पर जिलाधिकारी ने मुख्य कोषाधिकारी को निर्देश दिया है कि इन अधिकारियों का मासिक वेतन अग्रिम आदेश तक आहरित न किया जाए।
कार्य में लापरवाही
आईजीआरएस प्रणाली के माध्यम से जनता की शिकायतों का समाधान ऑनलाइन दर्ज और मॉनिटर किया जाता है। शासनादेश के अनुसार, मुख्यमंत्री कार्यालय स्वयं इन संदर्भों की गुणवत्ता की समीक्षा करता है। लेकिन संबंधित अधिकारियों द्वारा शिकायतों का गुणवत्तापूर्ण निस्तारण नहीं किया जा रहा, जिसके चलते नागरिकों की संतुष्टि का प्रतिशत लगातार गिर रहा है। सितंबर माह में 35 विभागों के अधिकारियों का फीडबैक शून्य दर्ज हुआ, जो जनपद की आईजीआरएस रैंकिंग पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।प्रशासन ने पहले भी अधिकारियों को कई बार बैठकों और पत्रों के माध्यम से निर्देश दिए थे कि वे समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण तरीके से शिकायतों का निस्तारण करें, ताकि जनता का विश्वास बना रहे। इसके बावजूद कई अधिकारी अपने दायित्वों के प्रति उदासीन बने रहे, जिसके परिणामस्वरूप उनके विभागों के सभी संदर्भों पर असंतोषजनक फीडबैक दर्ज हुआ।
सुधारना है छवि
प्रशासन का कहना है कि ऐसी लापरवाही से शासन के समक्ष जिले की छवि खराब होती है। इसलिए अब उन अधिकारियों के वेतन पर रोक लगा दी गई है, जिन्होंने शिकायतों के समाधान में रुचि नहीं दिखाई। यह रोक तब तक जारी रहेगी जब तक संबंधित अधिकारी अपने विभाग के आईजीआरएस निस्तारण में सुधार नहीं दिखाते और संतुष्ट फीडबैक प्रतिशत में वृद्धि नहीं होती।इस कार्रवाई को जिले में जवाबदेही और प्रशासनिक अनुशासन बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे अन्य अधिकारियों को भी यह संदेश गया है कि जनता की शिकायतों के समाधान में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और कार्य की गुणवत्ता को सीधे उनके वेतन से जोड़ा जाएगा। प्रशासन का उद्देश्य है कि हर नागरिक की शिकायत को गंभीरता से सुना जाए और समय पर संतोषजनक समाधान प्रदान किया जाए।