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फाइल फोटो
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
हर साल 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों में अंगदान के महत्व को लेकर जागरूकता फैलाई जा सके। लेकिन गाजियाबाद में सरकारी अस्पताल इस दिशा में अब तक कोई ठोस व्यवस्था नहीं कर पाए हैं। अंगदान जीवन बचाने का सबसे मानवीय कार्य माना जाता है। दिल, किडनी, लीवर, कॉर्निया जैसे अंग जरूरतमंद मरीजों को नया जीवन दे सकते हैं। लेकिन गाजियाबाद में स्थिति यह है कि किसी भी सरकारी अस्पताल में अंगदान के लिए आवश्यक सुविधा, स्टाफ और कानूनी प्रक्रियाओं का ढांचा मौजूद नहीं है।
अंगदान महादान
जिले में अंगदान और नेत्रदान को बढ़ावा देने के लिए काम करने वाली संस्था के जिला संयोजक वी.के. सिंह का कहना है कि केवल दिवस मनाने से काम नहीं चलेगा, इसके लिए स्थायी व्यवस्था जरूरी है। “लोगों में जागरूकता तो है, लेकिन जब वे अंगदान करना चाहते हैं, तब उन्हें सही मार्गदर्शन और सुविधा नहीं मिलती,” उन्होंने कहा। विशेषज्ञों का मानना है कि अंगदान के लिए अस्पताल में ट्रांसप्लांट यूनिट, प्रशिक्षित डॉक्टर, काउंसलर और कानूनी अनुमति की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा, एक ‘अंगदान समन्वय केंद्र’ बनाया जाना चाहिए जो दाता और प्राप्तकर्ता के बीच की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए।
निजी अस्पतालों में सुविधा
अभी अधिकतर लोग अंगदान के लिए निजी अस्पतालों पर निर्भर हैं, जहां खर्च अधिक होता है। गरीब और मध्यमवर्गीय मरीजों के लिए यह मुश्किल है। इसलिए सरकारी अस्पतालों में इस सुविधा का अभाव कई जिंदगियों के लिए खतरा बना हुआ है।अगर प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक संगठन मिलकर काम करें, तो गाजियाबाद में भी अंगदान को एक जन-आंदोलन बनाया जा सकता है। अंगदान केवल चिकित्सा विज्ञान की उपलब्धि नहीं, बल्कि मानवता की सबसे बड़ी सेवा है।
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