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सरकारी एमएमजी अस्पताल
गाजियाबादवाईबीएन संवाददाता
एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में इलाज के दौरान विजयनगर निवासी 60 वर्षीय सत्यप्रकाश की मौत हो गई। मौत के बाद मरीज के शव को पोस्टमार्टम हाउस में रखने को लेकर परिजनों ने हंगामा किया। इमरजेंसी के कर्मी ने इसकी सूचना पुलिस को दी। एसीपी रितेश त्रिपाठी ने बताया कि इसकी कोई सूचना नहीं मिली है। सीएमएस डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि बुखार से पीड़ित मरीज को परिजन शाम साढ़े सात बजे अत्यंत गंभीर अवस्था में इमरजेंसी में लाए थे। इलाज के दौरान 15 मिनट के बाद ही उनकी मौत हो गई।मौत के बाद जब पोस्टमार्टम कराने की बात हुई तो परिजनों ने इंकार कर दिया और हंगामा करने लगे। इसकी सूचना पुलिस को दी गई है।
केस नंबर 1
16 जुलाई 2024 को विजयनगर के ओमप्रकाश को उनके परिजन जिला अस्पताल लाए थे जहां उनका किडनी का ऑपरेशन किया गया था इसके बाद इंफेक्शन फैलने के चलते उनकी मौत हो गई थी परिजनों का कहना था कि डॉक्टरों की लापरवाही से ओमप्रकाश की जान गई जबकि डॉक्टर का कहना था कि ओमप्रकाश ने डॉक्टर की सलाह पर परहेज नहीं किया और इंफेक्शन हो गया जिसके बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
केस नंबर 2
14 सितंबर 2024 को मुरादनगर निवासी सरताज बानो को उनके परिजन गंभीर हालत में एमएमजी अस्पताल लेकर पहुंचे थे सरताज वाहनों को ब्लड प्रेशर शुगर और हाइपरटेंशन की समस्या थी अस्पताल पहुंचने के कुछ देर बाद ही सरताज वालों ने दम तोड़ दिया जिसके बाद परिजनों ने हंगामा किया था।
केस नंबर 3
इसी क्रम में 28 दिसंबर 2024 को नंदग्राम स्थित मरियम हॉस्पिटल में संतोष बीमार हालत में भर्ती था जहां पैसे के अभाव में परिजन संतोष को जिला अस्पताल ले गए थे संतोष के लिवर में घातक इंफेक्शन था जिसके बाद संतोष ने इलाज के दौरान दूसरे दिन ही सुबह दम तोड़ दिया इस मामले में परिजनों का कहना था कि वह रात भर लगातार डॉक्टर से गुहार लगाते रहे कि उनके मरीज की हालत बिगड़ रही है लेकिन डॉक्टरों ने ध्यान नहीं दिया और संतोष की मौत हो गई।
केस नंबर 4
इसी संख्या में एक मामला 29 जनवरी 2025 को आया था जब डसना निवासी अब्दुल मजीद को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था अब्दुल मजीद को श्वास संबंधी समस्या थी। जहां अब्दुल मस्जिद ने इलाज के दौरान देर रात दम तोड़ दिया था इस मामले में भी जमकर हंगामा हुआ था।
कुछ और भी है मामले
इसके अलावा भाटिया मोड की सीमा रस्तोगी हो या जटवाड़ा निवासी रमेश कुमार का मामला हो इन दोनों मामलों में भी जिला अस्पताल में मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया था जहां पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा था।
पुलिस का रवैया रहता है ढुलमुल
सरकारी अस्पताल में हंगामा करने के बाद जब-जब पुलिस को डॉक्टरों द्वारा शिकायत की गई तब तक पुलिस कार्रवाई हमेशा ढूंल मूल दिखाई दिया है। इस संबंध में कई शिकायतों के बाद भी कभी किन्हीं गंभीर धाराओं में मामला दर्ज नही किया गया।