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व्यापारियों ने ज्ञापन दिया
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
नगर निगम द्वारा संपत्ति कर में मनमाने तरीके से 3 से 5 गुना तक की वृद्धि करने पर महानगर उद्योग व्यापार मंडल ने तीव्र आपत्ति जताई है। इस संदर्भ में मंडल के अध्यक्ष गोपीचंद प्रधान एवं महामंत्री अशोक चावला के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार में स्वतंत्र प्रभार मंत्री नरेंद्र कश्यप को ज्ञापन सौंपा और इस वृद्धि को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग की।
नियम का उल्लंघन
ज्ञापन में कहा गया है कि नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 174(ख) के अनुसार संपत्ति कर की दरों में हर दो वर्ष में एक बार ही संशोधन किया जा सकता है। वर्ष 2023-24 में पहले ही संपत्ति कर की दरों में 10% की वृद्धि की जा चुकी है, जो 31 मार्च 2025 तक प्रभावी है। ऐसे में अब पुनः 3 से 5 गुना तक कर बढ़ाना न केवल अनुचित है बल्कि नियमों का उल्लंघन भी है। व्यापार मंडल ने आरोप लगाया कि कई क्षेत्रों में तो कर में 10 गुना तक की बढ़ोत्तरी की गई है, जिससे जनता में असंतोष व्याप्त है।
नगर निगम का न्याय
व्यापार मंडल ने यह भी इंगित किया कि नगर निगम अपने स्वयं के परिसरों जैसे रामतेराम रोड शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और नेहरू नगर ऑडिटोरियम को वर्षों से किराए पर नहीं दे सका है। ऐसे में आम जनता पर डीएम सर्किल रेट आधारित दरों को जबरन थोपना अन्यायपूर्ण है। वर्तमान में लागू किराया दरों पर ही कर निर्धारण किया जाना उचित होगा। ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि संपत्ति कर में वृद्धि की प्रक्रिया को पारदर्शी और नियमानुसार बनाते हुए, सदन की स्वीकृति के साथ ही कोई भी बदलाव किया जाए। डीएम सर्किल रेट आधारित प्रणाली की बजाय अन्य विकल्पों पर विचार करके ही कर में वृद्धि की जानी चाहिए।
संघर्ष रहेगा जारी
प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री से अपील की कि नगर निगम के अधिकारियों को जनहित में निर्देशित किया जाए कि जब तक नियमानुसार प्रक्रिया पूरी न हो, तब तक वर्तमान दरों पर ही कर वसूली जारी रखी जाए। प्रतिनिधिमंडल को विश्वास है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए उचित निर्णय लेगी।ज्ञापन सौंपने वालों में चेयरमैन बृजमोहन सिंगल, अध्यक्ष गोपीचंद प्रधान, महामंत्री अशोक चावला, कोषाध्यक्ष नरेश अग्रवाल सहित अनेक व्यापारिक संगठन और व्यापारीगण उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में यह मांग की कि जनविरोधी कर नीति को अविलंब वापस लिया जाए।