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Pahalgam : पाकिस्तानी वस्त्रों की मांग में भारी गिरावट: पहलगाम हमले के बाद बदले हालात

भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो आम जनता की भावनाओं को झकझोर देती हैं और उसका प्रभाव सीधा व्यापार, बाज़ार और सामाजिक व्यवहार पर पड़ता है। पहलगाम हमले के बाद देश में पाकिस्तान विरोधी भावना और अधिक प्रबल

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Syed Ali Mehndi
पाकिस्तानी वस्त्र

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गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता 

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भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो आम जनता की भावनाओं को झकझोर देती हैं और उसका प्रभाव सीधा व्यापार, बाज़ार और सामाजिक व्यवहार पर पड़ता है। पहलगाम हमले के बाद देश में पाकिस्तान विरोधी भावना और अधिक प्रबल हो गई है, जिसका असर अब विभिन्न क्षेत्रों में दिखाई देने लगा है। खासकर पाकिस्तान से आयात होने वाले सूट, लहंगा, शरारा और वेस्टर्न परिधानों की मांग में भारी गिरावट आई है। गाजियाबाद जैसे शहरों में इस बहिष्कार की प्रत्यक्ष झलक देखने को मिल रही है।

60% तक गिरावट

व्यापारिक सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान से आने वाले पारंपरिक परिधानों की मांग में लगभग 60% तक गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट सिर्फ कुछ क्षेत्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के कई बड़े और छोटे शहरों में दिखाई दे रही है। पहले जहां पाकिस्तानी सूट और लहंगे फैशन का प्रतीक माने जाते थे, वहीं अब लोग इन्हें खरीदने से बच रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि ग्राहक अब साफ तौर पर पूछते हैं कि वस्त्र पाकिस्तानी हैं या नहीं, और जानने पर वह खरीदने से इनकार कर देते हैं।

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बहिष्कार की लहर

गाजियाबाद, जो एक प्रमुख शहरी और व्यापारिक केंद्र है, वहां पाकिस्तानी वस्तुओं के बहिष्कार की लहर स्पष्ट रूप से महसूस की जा रही है। कपड़े के व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं ने पाकिस्तान से आने वाले फैब्रिक, वेस्टर्न ड्रेस और दुल्हन परिधानों को स्टॉक करना लगभग बंद कर दिया है। व्यापारी संगठनों ने भी इसमें सक्रिय भूमिका निभाई है और स्थानीय स्तर पर पाकिस्तानी वस्त्रों के खिलाफ अभियान चलाए जा रहे हैं।

वेस्टर्न परिधानों पर भी असर

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यह बहिष्कार केवल पारंपरिक परिधानों तक सीमित नहीं है, बल्कि पाकिस्तान से आने वाले वेस्टर्न आउटफिट्स, जैसे ट्यूनिक टॉप्स, लॉन्ग जैकेट्स, डिजाइनर कुर्ता-डेनिम सेट्स आदि की बिक्री पर भी इसका असर पड़ा है। जो वेस्टर्न ड्रेस पहले ट्रेंडी मानी जाती थीं, अब दुकानों की अलमारियों में बिना खरीदार के पड़ी हैं। इससे न केवल छोटे व्यवसायियों को नुकसान हुआ है, बल्कि पाकिस्तान से जुड़े व्यापारिक चैनलों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

मानसिकता में बदलाव

इस परिवर्तन के मूल में उपभोक्ता मानसिकता में आया बदलाव है। अब लोग केवल फैशन या कीमत नहीं देखते, बल्कि यह भी देख रहे हैं कि उनके द्वारा खरीदा गया उत्पाद कहां से आया है। देशभक्ति की भावना और सुरक्षा को लेकर जागरूकता अब उपभोक्ता के निर्णय में एक अहम भूमिका निभा रही है। सोशल मीडिया पर भी #BoycottPakistanProducts जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जिससे इस आंदोलन को और बल मिला है।

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एक बड़ा संकेत 

पहलगाम हमले के बाद उत्पन्न जनाक्रोश ने न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और व्यापारिक स्तर पर भी असर डाला है। गाजियाबाद जैसे शहरों में पाकिस्तान से आने वाले वस्त्रों का बहिष्कार एक बड़ा संकेत है कि अब भारतीय उपभोक्ता केवल उत्पाद नहीं, बल्कि उसके स्रोत को भी महत्व दे रहे हैं। यह बदलाव केवल अस्थायी न होकर दीर्घकालिक भी हो सकता है, यदि देशवासियों की यह भावना बनी रहती है। ऐसे में स्थानीय और स्वदेशी वस्त्र उद्योगों के लिए यह एक अवसर भी हो सकता है, जिससे वे बाज़ार में अपनी पकड़ और मजबूत कर सकें।

 

 

 

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