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गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
गिरता जलस्तर चिंतनीय
दिल्ली एनसीआर में गर्मी के मौसम में पानी की कलात देखने को मिलती है. कई लाखों में तो पानी की किल्लत के चलते लोगों को कई दिनों तक परेशान रहना पड़ता है. दिल्ली एनसीआर में तेजी के साथ जलस्तर नीचे गिर रहा है. स्थिति गाजियाबाद की भी ठीक नहीं है. विजयनगर क्षेत्र में सबसे अधिक जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है. बीते 6 सालों में गाज़ियाबाद के विजयनगर क्षेत्र में जलस्तर में 11 मीटर की गिरावट आई है. गाजियाबाद में भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए तालाबों का जीर्णोद्धार किया जाएगा. जल शक्ति मिशन के तहत तालाबों का जीर्णोद्धार होगा.
180 तालाबों का बदलेगा हुलिया
गाज़ियाबाद में 180 तालाबों को जीर्णोद्धार करने के लिए चिन्हित किया गया है. गाजियाबाद की मुख्य विकास अधिकारी अभिनव गोपाल द्वारा ऐसी व्यवस्था विकसित की गई है जिसके तहत भूजल का प्रयोग करने वाली कंपनियों द्वारा तालाबों का जीर्णोद्धार किया जाएगा. जिला प्रशासन द्वारा कई कंपनियों को भूजल का प्रयोग करने के लिए एनओसी उपलब्ध कराई जाती है. एनओसी के तहत कंपनियों को कई शर्तों का पालन करना होता है. कंपनियों द्वारा प्रयोग किए गए भूजल जितना पानी संचयन करना होता है. भूजल का प्रयोग करने वाली कंपनियों द्वारा को तालाबों के जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी जिला प्रशासन द्वारा दी जा रही है.
तालाबों की है बुरी हालत
जिले में कई तालाब ऐसे हैं जहां पूरे गांव का गंदा पानी, गोबर आदि इस तालाब में नाले आदि के रास्ते पहुंचता है. जिससे कि तालाब में भारी मात्रा में गाद और प्लास्टिक वेस्ट इकट्ठा हो जाता है. जीर्णोद्धार के दौरान तालाबों में बड़े सिल्ट चैंबर्स विकसित किए जाएंगे ताकि तालाब में गार्ड और प्लास्टिक वेस्ट आदि न पहुंच सके. जिले में कई तालाब ऐसे हैं जिनकी देखरेख न होने से गंदगी का अंबार लग चुका है.
तेजी से चल रहा है काम
गाजियाबाद के मुख्य विकास अधिकारी अभिनव गोपाल के मुताबिक जिले की 142 ग्राम पंचायत, आठ नगर पालिका और नगर पंचायत में तालाबों का जीर्णोद्धार कराया जा रहा हैं. जिले में नरेगा स्कीम नहीं है ऐसे में भूजल का प्रयोग करने वाली कंपनियों का सहयोग लिया जाता है. भूजल का प्रयोग करने वाली कंपनियों द्वारा तालाबों का जीर्णोद्धार कराया जाएगा. जिले में कुल 180 तालाबों का जीर्णोद्धार कराया जाएगा. तालाबों का जीर्णोद्धार होने के पश्चात तालाबों में विभिन्न प्रकार की व्यावसायिक गतिविधियां जैसे कि सिंघाड़े की खेती और मछली पालन आदि को जोड़ने की कयावद की जाएगी. तालाबों में मछली पालन और सिंघाड़े की खेती होने से तालाबों की अच्छी देखरेख हो सकेगी.
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