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एक चुनाव एक राष्ट्र
ग़ाज़ियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
भारतीय राजनीति में "एक राष्ट्र, एक चुनाव" का मुद्दा पिछले कई वर्षों से चर्चा का विषय रहा है। अब भाजपा इस विचार को आगे बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चला रही है। खास बात यह है कि इस अभियान में अब छात्र और युवा वर्ग भी सक्रिय रूप से जुड़ चुका है। ग़ाज़ियाबाद में भाजपा कार्यालय पर आयोजित एक बैठक में अभियान के क्षेत्रीय सह संयोजक व प्रभारी प्राजवल चौहान ने बताया कि सितम्बर के पहले सप्ताह में लखनऊ में छात्र नेता सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इसमें पश्चिम क्षेत्र के सभी जिलों से सैकड़ों युवा और छात्र नेता शामिल होंगे।
छात्र और युवा बेहद महत्वपूर्ण
प्राजवल चौहान ने कहा कि छात्र और युवा ही भविष्य की राजनीति और समाज की दिशा तय करेंगे। ऐसे में यह आवश्यक है कि वे "एक राष्ट्र, एक चुनाव" जैसे महत्वपूर्ण विषय को समझें और समाज में इसकी जानकारी फैलाएँ। उन्होंने इस सम्मेलन को युवाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करने का बड़ा प्रयास बताया।बैठक में अभियान के महानगर समन्वयक सरदार एस.पी. सिंह ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को देश के विकास की जिम्मेदारी उठानी है। इस दृष्टि से "एक राष्ट्र, एक चुनाव" व्यवस्था न केवल समय और धन की बचत करेगी, बल्कि शासन-प्रशासन की कार्यक्षमता भी बढ़ाएगी। लगातार चुनावों की वजह से देश का बड़ा हिस्सा राजनीतिक गतिविधियों में उलझा रहता है, जिससे विकास कार्य प्रभावित होते हैं। अगर सभी चुनाव एक साथ होंगे तो सरकारें स्थिर रहेंगी और प्रशासन जनता की समस्याओं पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेगा।
संगठन की प्रगति
जिला समन्वयक दिनेश सिंघल ने अपने विचार रखते हुए कहा कि देश की प्रगति के लिए संगठन और एकता सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग समय पर चुनाव होने से समाज में अनावश्यक तनाव और विभाजन की स्थिति पैदा होती है। जबकि "एक राष्ट्र, एक चुनाव" सभी को एकजुट करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने का काम करेगा।बैठक में मौजूद अन्य पदाधिकारियों और युवाओं ने भी इस विषय पर अपने विचार रखे। सह समन्वयक अभिनव जैन, राजकुमार यादव, युवा संयोजक पंकज कसाना, दीपक गोस्वामी, संदीप चौधरी, नोमिष पांडे, सुमित चौहान, रमन सिंघानिया, आयुष कौशिक, आकाश जैन, वंश कौशिक और विकास भदोरिया सहित कई कार्यकर्ता शामिल हुए। इन सभी ने सम्मेलन में सक्रिय भागीदारी का संकल्प लिया।
एक राष्ट्र एक चुनाव
ग़ाज़ियाबाद की इस बैठक ने स्पष्ट कर दिया कि "एक राष्ट्र, एक चुनाव" अभियान को आगे बढ़ाने में अब युवा और छात्र वर्ग नेतृत्वकारी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। राजनीतिक जानकार भी मानते हैं कि यदि इस विषय को छात्रों और युवाओं का समर्थन मिलता है तो यह अभियान व्यापक जनसमर्थन प्राप्त कर सकता है।इस तरह लखनऊ में होने वाला छात्र सम्मेलन केवल एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं होगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ी के लिए लोकतांत्रिक प्रणाली की दिशा तय करने वाला एक बड़ा मंच साबित हो सकता है। ग़ाज़ियाबाद समेत पूरे पश्चिम उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में छात्रों की उपस्थिति यह दिखाएगी कि अब युवा केवल दर्शक नहीं, बल्कि नीति निर्धारण और सामाजिक परिवर्तन के सक्रिय भागीदार बनना चाहते हैं।युवाओं की इस पहल से यह उम्मीद भी बढ़ती है कि "एक राष्ट्र, एक चुनाव" का विचार केवल राजनीतिक बहस तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह देश की भावी व्यवस्था का हिस्सा बनेगा।