गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
नाहल गांव में बीते दिनों पुलिस और ग्रामीणों के बीच हुई झड़प में सिपाही सौरभ देशवाल की मौत के बाद क्षेत्र में बढ़े तनाव के बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) का प्रतिनिधिमंडल गांव पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल ने आमजनों से मुलाकात कर उन्हें आश्वस्त किया कि पार्टी उनके साथ है और निर्दोषों को न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व AIMIM गाजियाबाद जिलाध्यक्ष डॉ. मेहताब अली, महानगर अध्यक्ष पंडित मनमोहन झा गामा और प्रदेश सचिव हाजी आरिफ अली ने किया। प्रतिनिधियों ने गांव में रह रहे लोगों के साथ बैठक कर उनकी समस्याएं सुनीं और भरोसा दिलाया कि पार्टी हर उस व्यक्ति के साथ खड़ी है जो इस घटना में बेगुनाह है लेकिन कार्रवाई की चपेट में आ गया है।
उच्चस्तरीय जांच की मांग
पार्टी के महानगर अध्यक्ष पंडित मनमोहन झा गामा ने कहा कि सिपाही सौरभ देशवाल की मौत दुखद है और इसकी निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि वे व्यक्तिगत रूप से इस मामले में हस्तक्षेप करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी निर्दोष व्यक्ति पुलिस कार्रवाई का शिकार न बने।उन्होंने मीडिया के माध्यम से उन लोगों से भी अपील की जो हालात के डर से गांव छोड़कर जा चुके हैं, कि वे अपने घर लौट आएं और आगामी ईद-उल-अजहा का पर्व शांति और सौहार्द के साथ मनाएं। उन्होंने यह भी कहा कि ईद के दिन वे स्वयं ईदगाह पर मौजूद रहेंगे और ग्रामीणों का स्वागत करेंगे।
निःशुल्क कानूनी सहायता का ऐलान
जिलाध्यक्ष डॉ. मेहताब अली और प्रदेश सचिव हाजी आरिफ अली ने बताया कि जिन निर्दोष लोगों को जेल में डाला गया है, उनका मुकदमा AIMIM की लीगल सेल द्वारा निशुल्क लड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि वे जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली और राष्ट्रीय अध्यक्ष बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी को इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी देंगे, ताकि इस मामले में राष्ट्रीय स्तर पर भी आवाज उठाई जा सके।
शामिल रहे कई पदाधिकारी
प्रतिनिधिमंडल में पार्षद दिलशाद अब्बासी, शाहिद सैफी, पार्षद फरहाद चौधरी, सदाकत राणा, शाहिद खान, आजाद भाई, अनवर प्रधान, नजर चौधरी, कारी साजिद चौधरी, राशिद चौधरी, मास्टर फारुख, मोहम्मद अजीज, शहजाद चौधरी, सलीम भाई, मोहम्मद अनवर, श्याम पांडे सहित AIMIM के कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे। प्रतिनिधि मंडल के इस दौरे से गांव के लोगों में कुछ हद तक भरोसा लौटा है और उन्हें यह विश्वास हुआ है कि पार्टी उनके अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आएगी। AIMIM का यह कदम संवेदनशील परिस्थितियों में शांति और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।