/young-bharat-news/media/media_files/2025/08/20/untitled-design_20250820_101019_0000-2025-08-20-10-17-42.jpg)
फाइल फोटो
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद की राजनीति में इन दिनों कांग्रेस की चर्चित महिला चेहरा और लोकसभा प्रत्याशी रह चुकीं डॉली शर्मा एक मानहानि मामले को लेकर सुर्खियों में हैं। भाजपा सांसद अतुल गर्ग द्वारा उनके खिलाफ दर्ज कराए गए मानहानि मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट कहा है कि नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 223 के तहत किसी भी आरोपी को सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता।दरअसल, इस मामले में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) की अदालत ने परिवाद दर्ज कर डॉली शर्मा को आरोपी मानते हुए उनके खिलाफ समन जारी कर दिया था। इसी आदेश को चुनौती देते हुए डॉली शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
बीएनएसएस की धारा 223
हाईकोर्ट के अधिवक्ता कुमार धनंजय ने बताया कि बीएनएसएस की धारा 223 में स्पष्ट प्रावधान है कि जब अभियोजन की तरफ से वाद दाखिल किया जाए तो अदालत को अभियुक्त का पक्ष भी सुनना अनिवार्य है। बिना दोनों पक्षों को सुने किसी भी तरह का आदेश पारित नहीं किया जा सकता। यही दलील अदालत के सामने रखी गई।हाईकोर्ट ने इस आधार पर निचली अदालत से जारी समन को निरस्त करते हुए निर्देश दिया कि अब वादी (सांसद अतुल गर्ग) और प्रतिवादी (डॉली शर्मा) दोनों की दलीलें सुनकर ही आगे की कार्रवाई तय होगी।
राजनीतिक हलकों में चर्चा
इस फैसले को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। गाजियाबाद में लोकसभा चुनाव से पहले ही भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहा था। अतुल गर्ग और डॉली शर्मा कई बार मंचों से एक-दूसरे पर तीखे प्रहार कर चुके हैं। अब यह मामला अदालत तक पहुंच गया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि डॉली शर्मा की छवि धूमिल करने के लिए यह मुकदमा किया गया, वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं का मानना है कि सांसद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणियां मानहानि की श्रेणी में आती हैं।
आगे की राह
हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि निचली अदालत को देखना होगा कि धारा 223 के तहत संयुक्त सुनवाई इस प्रकरण पर लागू होती है या नहीं। अगर लागू होती है तो दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस फैसले से डॉली शर्मा को फिलहाल राहत जरूर मिली है, लेकिन आने वाले दिनों में यह मुकदमा गाजियाबाद की राजनीति को और गर्मा सकता है।