गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद की सियासत एक नए मोड़ पर खड़ी दिखाई दे रही है। ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के अंतर्गत आयोजित भारत विकास यात्रा जहां भाजपा के लिए एक बड़ा आयोजन बनने जा रही है, वहीं इसी दिन गाजियाबाद के पूर्व सांसद, मिजोरम के वर्तमान राज्यपाल एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री जनरल वी.के. सिंह का जन्मदिन भी धूमधाम से मनाया जाना है। यह दिन गाजियाबाद की राजनीति के लिए विशेष बन चुका है, क्योंकि दोनों ही कार्यक्रमों में भाजपा की शक्ति और रणनीति का प्रदर्शन होना तय है।
भारत विकास यात्रा
भारत विकास यात्रा का उद्देश्य देशभर में चुनावों के एक साथ आयोजन की अवधारणा को जन-जन तक पहुंचाना है। गाजियाबाद जैसे राजनीतिक रूप से जागरूक और संवेदनशील शहर में इस यात्रा का पड़ाव पार्टी के लिए संदेश देने का एक सशक्त माध्यम बन सकता है। इसमें भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं के शामिल होने की संभावना है, जो आगामी लोकसभा चुनाव की दिशा तय करने में भूमिका निभा सकते हैं।
जनरल का जन्मदिन
दूसरी ओर, जनरल वी.के. सिंह का जन्मदिन केवल एक व्यक्तिगत उत्सव न होकर राजनीतिक ताकत का परिचायक माना जा रहा है। वे भले ही अब जनप्रतिनिधि न हों, लेकिन गाजियाबाद में उनकी पकड़ और समर्थकों का नेटवर्क आज भी मजबूत है। उनके राजनगर स्थित आवास पर जुटने वाली भीड़ यह संकेत दे सकती है कि वे अब भी गाजियाबाद की राजनीति में प्रभावी भूमिका निभाने की स्थिति में हैं।
गुटबाज़ी
विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि भाजपा के भीतर दो गुटों की सक्रियता की चर्चा इन दिनों तेज हो चली है। एक गुट ‘भारत विकास यात्रा’ को प्राथमिकता देता दिखाई दे रहा है, जबकि दूसरा गुट वी.के. सिंह के आयोजन को ज्यादा अहम मान रहा है। ऐसे में कार्यकर्ताओं और समर्थकों के सामने यह दुविधा खड़ी हो गई है कि वे किस ओर झुकाव दिखाएं। दोनों ही आयोजनों में उपस्थित रहना न केवल समय बल्कि राजनीतिक निष्ठा की भी परीक्षा बन जाएगा।
कड़ी नज़र
इस स्थिति को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह दिन भाजपा के अंदरूनी समीकरणों को उजागर कर सकता है। जो चेहरे वी.के. सिंह के साथ नजर आएंगे, वे शायद भविष्य की रणनीतियों में उनके साथ खड़े नजर आएं, वहीं जो नेता और कार्यकर्ता भारत विकास यात्रा में सक्रिय रहेंगे, वे संगठन के वर्तमान नेतृत्व की प्राथमिकता को दर्शाएंगे।
उत्सुकता प्रतीक्षा इंतजार
गाजियाबाद की जनता इस पूरे घटनाक्रम को उत्सुकता से देख रही है। यह तय है कि 10 मई सिर्फ दो आयोजनों का दिन नहीं रहेगा, बल्कि यह भाजपा की स्थानीय राजनीति का शक्ति परीक्षण भी सिद्ध हो सकता है। अब देखना यह होगा कि राजनीतिक संतुलन कैसे बनता है और कौन से चेहरे किस पाले में नजर आते हैं।