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मन की बात कार्यक्रम की समीक्षा
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रिय मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने देशभर में व्यापक स्तर पर आयोजन और प्रचार-प्रसार की रणनीति अपनाई है। लेकिन हाल ही में भाजपा पश्चिम उत्तर प्रदेश इकाई द्वारा जारी की गई ग्रेडिंग रिपोर्ट में गाजियाबाद संगठन की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गए हैं।29 जून को जारी इस रिपोर्ट में गाजियाबाद महानगर को 8वां और पूरे जिले को 16वां स्थान दिया गया है। यह प्रदर्शन एक ऐसे जिले के लिए चिंता का विषय बन गया है, जिसे भाजपा का परंपरागत रूप से मजबूत गढ़ माना जाता है। रिपोर्ट में साफ दिखा कि गाजियाबाद संगठन 'मन की बात' कार्यक्रम को अपेक्षित स्तर पर आयोजित नहीं कर सका, जिससे पार्टी के भीतर आत्ममंथन की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
ऐसे हुआ आकलन
ग्रेडिंग रिपोर्ट में जिन मुख्य मानकों को आधार बनाया गया, उनमें प्रसारण स्थलों की संख्या, कार्यक्रमों की प्रभावशीलता, कार्यकर्ता सहभागिता, सोशल मीडिया कवरेज और जनसंपर्क गतिविधियां शामिल थीं। इन सभी मापदंडों पर गाजियाबाद की रैंकिंग औसत से नीचे रही। भाजपा संगठन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि इस प्रकार की रैंकिंग एक बड़े और रणनीतिक जिले के लिए चिंताजनक है। पार्टी के अंदर इस गिरावट को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं और शीघ्र ही विश्लेषण और समीक्षा बैठकें आयोजित की जाएंगी।
समन्वय की कमी
सूत्रों के अनुसार, कार्यक्रमों के आयोजन में समन्वय की कमी, कार्यकर्ताओं के उत्साह में गिरावट, और बूथ स्तर पर कार्यक्रमों का सही संचालन न हो पाना इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 'मन की बात' केवल एक रेडियो कार्यक्रम नहीं, बल्कि भाजपा के लिए जन संवाद, नीतिगत संप्रेषण और कार्यकर्ता ऊर्जा का एक अहम माध्यम है। इसलिए यदि इसमें गाजियाबाद जैसा जिला पिछड़ता है, तो यह संगठनात्मक कमजोरी का स्पष्ट संकेत है।
मंथन का विषय
पार्टी के रणनीतिकार अब इस बात पर जोर दे रहे हैं कि कार्यकर्ता प्रशिक्षण, संवाद और निष्पादन प्रणाली को और अधिक प्रभावशाली बनाया जाए। साथ ही स्थानीय नेतृत्व और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच बेहतर तालमेल और संप्रेषण को सुनिश्चित किया जाए ताकि पार्टी की पकड़ फिर से मजबूत हो सके।गाजियाबाद संगठन के लिए यह रिपोर्ट एक चेतावनी के रूप में सामने आई है, जिससे सबक लेते हुए भविष्य की रणनीति और कार्य योजना को पुनः सशक्त रूप में गढ़ने की आवश्यकता है।
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