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महापौर सुनीता दयाल
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गाज़ियाबाद एक बार फिर दिल्ली के कूड़े को लेकर सुर्खियों में है। वार्ड 42 बमहेटा के पास सोमवार देर रात गाड़ियों से भरे कूड़े को पकड़ा गया। इस कार्रवाई की अगुवाई गाजियाबाद की महापौर सुनीता दयाल ने की। उनके साथ क्षेत्र की पार्षद परमेश यादव के पति राजेश यादव भी मौजूद थे। उन्होंने गाड़ियों को रोकने के बाद पुलिस अधिकारी को फोर्स भेजने की बात कही, लेकिन महापौर ने साफ मना कर दिया। उनका कहना था कि यदि यह मामला SHO तक पहुंचा तो पुलिस पैसे लेकर गाड़ियों को छोड़ सकती है। महापौर का यह बयान साफ दर्शाता है कि उन्हें पुलिस पर भरोसा नहीं है और उनके अनुभव भी शायद ऐसे ही रहे हैं।
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दिल्ली के कूड़े की कहानी
दिल्ली और गाजियाबाद के बीच कूड़ा डंपिंग का विवाद नया नहीं है। लगभग दो साल पहले भी महापौर सुनीता दयाल ने ऐसी गाड़ियों को पकड़ा था। उस समय दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी और महापौर ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। यहां तक कि नंदग्राम थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी। लेकिन अब परिस्थितियां अलग हैं। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। इस बार महापौर ने सीधे तौर पर सरकार पर सवाल नहीं उठाए, बल्कि ठेकेदारों को जिम्मेदार माना जो कूड़ा गाजियाबाद में डंप करवा रहे हैं।
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सात गाड़ियां पकड़ी गईं
ताज़ा मामले में महापौर और पार्षद पति की टीम ने सात गाड़ियों को पकड़ा। ये गाड़ियां दिल्ली नगर निगम का कचरा गाजियाबाद में लाकर डाल रही थीं। महापौर ने खुद मोर्चा संभालते हुए इसे नगर निगम गाजियाबाद की गरिमा और शहरवासियों के स्वास्थ्य से जुड़ा मामला बताया। उनका कहना है कि गाजियाबाद पहले ही प्रदूषण और गंदगी की समस्या से जूझ रहा है, ऐसे में दिल्ली का कचरा यहां डालना किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
तीन दशक से लंबित सवाल
गाजियाबाद नगर निगम बने हुए लगभग 30 साल हो चुके हैं। इस दौरान महापौर की कुर्सी और सदन में भाजपा का दबदबा रहा है। हर बार यह कहा जाता है कि शहर के लिए स्थाई डंपिंग ग्राउंड या सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनाया जाएगा, लेकिन आज तक यह योजना जमीन पर नहीं उतर सकी। सवाल उठता है कि आखिर इसकी जिम्मेदारी किसकी है? क्या तीन दशकों से लगातार सत्ता में रहने वाली भाजपा की नगर सरकार जवाबदेही से बच सकती है?
राजनीतिक बहस
कूड़ा डंपिंग का यह विवाद अक्सर दिल्ली और गाजियाबाद की राजनीति का मुद्दा बन जाता है। जब आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली में थी, तो भाजपा ने इस मुद्दे पर खूब राजनीति की। अब जब दिल्ली में भाजपा की ही सरकार है, तो ठीकरा ठेकेदारों पर फोड़ा जा रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि गाजियाबाद के लिए स्थाई समाधान तलाशने की बजाय मामला बार-बार सिर्फ राजनीति की भेंट चढ़ जाता है।महापौर सुनीता दयाल का पुलिस पर अविश्वास और दिल्ली के कूड़े पर उनकी सख्त कार्रवाई चर्चा का विषय है। लेकिन असली सवाल यह है कि आखिर गाजियाबाद को कब अपना डंपिंग ग्राउंड और वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट मिलेगा? जब तक इसका ठोस समाधान नहीं निकलता, तब तक यह विवाद बार-बार उठता रहेगा और जनता सिर्फ गंदगी और प्रदूषण झेलती रहेगी।