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Politics : मजार विवाद ने पकड़ा राजनीतिक रंग, विपक्ष को मिला मुद्दा

नगर निगम की मेयर सुनीता दयाल द्वारा हाल ही में गाजियाबाद के प्रसिद्ध गाजीउद्दीन की मजार के पास अतिक्रमण हटवाने की कार्रवाई अब राजनीतिक मुद्दा बनती जा रही है। दो दिन पूर्व बुलडोजर चलवाकर ग्रीन बेल्ट से अतिक्रमण हटवाया गया और वहां पौधारोपण का कार्य भी किया

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Syed Ali Mehndi
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मनमोहन गामा हाउस अरेस्ट

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

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नगर निगम की मेयर सुनीता दयाल द्वारा हाल ही में गाजियाबाद के प्रसिद्ध गाजीउद्दीन की मजार के पास अतिक्रमण हटवाने की कार्रवाई अब राजनीतिक मुद्दा बनती जा रही है। दो दिन पूर्व बुलडोजर चलवाकर ग्रीन बेल्ट से अतिक्रमण हटवाया गया और वहां पौधारोपण का कार्य भी किया गया। नगर निगम का कहना है कि यह स्थान सार्वजनिक हरियाली क्षेत्र है, जिस पर अवैध रूप से निर्माण किया गया था। वहीं दूसरी ओर इस कार्रवाई को लेकर एआईएमआईएम (AIMIM) पार्टी ने विरोध जताया है।

भेज दो मुझे जेल 

एआईएमआईएम के महानगर अध्यक्ष मनमोहन झा 'गामा' ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “मानना पड़ेगा कि गाजियाबाद पुलिस काफी सतर्क है। हमने मात्र यह घोषणा की थी कि 7 जुलाई को गाजीउद्दीन की मजार पर चादर चढ़ाई जाएगी और पुलिस ने हमें उसी रात हाउस अरेस्ट कर लिया।” उन्होंने इस कदम को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक भावना के खिलाफ करार दिया। मनमोहन झा ने कहा कि अगर एआईएमआईएम के कार्यकर्ताओं को जेल भेजने से गाजियाबाद में हत्या, लूट, बलात्कार, छेड़छाड़, चैन स्नैचिंग और अन्य अवैध कार्य बंद हो जाते हैं, तो हमें खुशी है – भेजिए जेल। उन्होंने प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए इसे "राजनीतिक द्वेष" से प्रेरित बताया और कहा कि गाजियाबाद में मुस्लिम समाज को निशाना बनाया जा रहा है।

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विपक्ष को मिला मुद्दा 

वहीं नगर निगम का तर्क है कि ग्रीन बेल्ट पर किसी भी प्रकार का पक्का निर्माण अवैध है, चाहे वह धार्मिक स्थल हो या अन्य कोई निर्माण। निगम प्रशासन का कहना है कि पूरे शहर में ग्रीन स्पेस को संरक्षित करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है और उसी के अंतर्गत यह कार्रवाई हुई है। इस घटना ने न केवल धार्मिक भावना को झकझोरा है, बल्कि गाजियाबाद की राजनीति में भी एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। स्थानीय प्रशासन, राजनीतिक दलों और आम नागरिकों के बीच इस मामले को लेकर बहस तेज हो गई है। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला प्रशासनिक सख्ती से सुलझता है या और अधिक राजनीतिक तूल पकड़ता है।

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