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Politics : पूर्व मेयर आशु वर्मा के बयान पर राजनीति गर्म

सोशल मीडिया के बढ़ते प्रसार के बीच फेक कंटेंट और भ्रामक पोस्टों का दुष्प्रभाव एक गंभीर समस्या बन चुका है। इसी क्रम में सोमवार को पूर्व महापौर अषु कुमार वर्मा ने डीसीपी नगर, पुलिस कमिश्नरेट गाज़ियाबाद को एक विस्तृत प्रार्थना पत्र सौंपकर उनके खिलाफ सोशल

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Syed Ali Mehndi
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कार्यक्रम का छायाचित्र

गाज़ियाबाद,वाईबीएन संवाददाता 

सोशल मीडिया के बढ़ते प्रसार के बीच फेक कंटेंट और भ्रामक पोस्टों का दुष्प्रभाव एक गंभीर समस्या बन चुका है। इसी क्रम में सोमवार को पूर्व महापौर अषु कुमार वर्मा ने डीसीपी नगर, पुलिस कमिश्नरेट गाज़ियाबाद को एक विस्तृत प्रार्थना पत्र सौंपकर उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर प्रसारित किए जा रहे झूठे और भड़काऊ कंटेंट को तुरंत हटाने तथा इसमें शामिल व्यक्तियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

तोड़ मरोड़ के किया है पेश 

पूर्व महापौर ने अपने प्रार्थना पत्र में उल्लेख किया कि 10 नवम्बर 2025 को दिल्ली में आतंकी डॉक्टर उमर द्वारा किए गए बम विस्फोट की घटना का संदर्भ लेते हुए, उन्होंने 13 नवम्बर को भारतीय जनता पार्टी के एक कार्यक्रम में भाषण दिया था। भाषण के दौरान उन्होंने यह स्पष्ट किया था कि आतंकवाद का किसी पेशे, जाति या सामाजिक वर्ग से कोई संबंध नहीं होता। उन्होंने कहा था—“डॉक्टर भी आतंवादी हो सकता है, प्रोफेसर भी, लेखक भी, मैकेनिक भी, घास खोदने वाला भी… आतंकवाद का पढ़ाई-लिखाई से कोई लेना-देना नहीं, यह कट्टरता से उपजता है। श्री वर्मा ने जोर देकर कहा कि उनके वक्तव्य का आशय केवल इतना था कि आतंकवाद का मूल्यांकन व्यक्ति के कृत्य से होना चाहिए, न कि उसके व्यवसाय या सामाजिक पृष्ठभूमि से। लेकिन कुछ शरारती, दुर्भावनापूर्ण और आतंकी समर्थक तत्वों ने उनके बयान को तोड़-मरोड़कर ऐसे रूप में पेश किया जैसे उन्होंने “चमार समाज को आतंकवादी कहा” — जो पूर्णतः झूठा, मनगढ़ंत और सामाजिक वैमनस्य फैलाने वाला आरोप है।

प्रतिष्ठा धूमिल करने का षड्यंत्र

पूर्व महापौर ने इसे उनके राजनीतिक और सामाजिक जीवन को नुकसान पहुंचाने की सोची-समझी साजिश बताते हुए मांग की है कि इस फर्जी कंटेंट को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से तुरंत हटाया जाए। साथ ही इसकी वस्तुनिष्ठ जांच कराई जाए और उन लोगों की पहचान कर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए, जिन्होंने समाज में तनाव फैलाने, अमन-चैन बिगाड़ने और उनकी प्रतिष्ठा धूमिल करने का षड्यंत्र रचा है।उन्होंने अंत में कहा कि समाज में शांति, सद्भाव और सौहार्द बनाए रखना हर नागरिक का दायित्व है। ऐसे फेक कंटेंट फैलाने वाले तत्व न केवल सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करते हैं, बल्कि कानून व्यवस्था के लिए भी चुनौती बनते हैं। इसीलिए उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई बेहद आवश्यक है, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस प्रकार की भ्रामक गतिविधियों का साहस न कर सके।

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